नक्सलियों के गढ़ सारंडा में सीआरपीएफ ने निकाली तिरंगा यात्रा, ग्रामीणों को किया जागरूक


चाईबासा (CHAIBASA): नक्सलियों की कभी राजधानी रहे सारंडा जंगल के स्कूलों और गांवों में स्वतंत्रता दिवस के अवसर नक्सली कभी काला झंडा और उल्टा तिरंगा ध्वज को फहराकर देश और समाज विरोधी कार्य करते थे. लेकिन आज उसी सारंडा जंगल इलाके थोलकोबाद, जुम्बईबुरु, करमपदा से लेकर किरीबुरु-मेघाहातुबुरु में सीआरपीएफ के जवान तिरंगा रैली निकाल रहे हैं. सारंडा जंगल में तैनात 197 बटालियन की विभिन्न कम्पनियों के पदाधिकारियों और जवानों ने 11 अगस्त को मोटरसाईकल रैली निकाली. कमांडेंट परवेश कुमार जौहरी के निर्देशानुसार तिरंगा ध्वज के साथ भारत माता की जय, वंदे मातरम, हमारी तिरंगा हमारी शान है आदि नारे गूंजे. साथ पूरे सारंडा क्षेत्र में हर घर तिरंगा अभियान के तहत जागरूकता रैली निकाली गई.
शहर का भ्रमण
यह रैली थोलकोबाद स्थित सीआरपीएफ कैंप से सहायक कमांडेंट सीपी तिवारी, सहायक कमांडेंट नुपुर चक्रवर्ती, निरीक्षक कुंवर सेन, निरीक्षक विजय पाल सिंह, निरीक्षक विश्वास चतुर्वेदी के नेतृत्व में लगभग 200 जवानों के साथ निकली. जिसने जुम्बईबुरु, करमपदा होते किरीबुरु और मेघाहातुबुरु शहर का पूरा भ्रमण किया. इस मोटरसाइकिल रैली में सवार तमाम जवान तिरंगा को बाइकमें बांधे शान से लहराते चल रहे थे. सभी जवान ग्रामीण और शहरवासी को संदेश देते हुए यह आग्रह करते नजर आये कि वह अपने-अपने घरों में 13-15 अगस्त तक तिरंगा ध्वज शान से लगायें.
इस रैली में 197 बटालियन के ए, ई, एफ, जी और क्यूएटी कंपनी के अधिकारी और जवान शामिल थे. सारंडा के विभिन्न गांवों के ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2001 से लेकर वर्ष 2011 तक नक्सली सारंडा में कभी हमें तिरंगा ध्वज फहराने नहीं देते थे. जब से सारंडा में सीआरपीएफ आयी है, तब से वह तिरंगा ध्वज तो फहरा रहे हैं. लेकिन आज जिस तरह से सीआरपीएफ जवानों ने तिरंगा के साथ नक्सलियों की गढ़ में विशाल बाइक रैली निकाली थी, वैसी रैली पहले कभी नहीं देखी.
रिपोर्ट: संदीप गुप्ता, चाईबासा
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