धनबाद(DHANBAD): रानीगंज के बाद झरिया कोयलांचल में कोयला उत्पादन के लिए बिहार और उत्तर प्रदेश से लोगों को लाकर कोयले खनन का काम शुरू कराया गया था. लेकिन राष्ट्रीयकरण के बाद परिस्थितिया बदली तो बदलती चली गई. अभी तो आउटसोर्सिंग का जमाना है, लेकिन यहां कोयले के अवैध कारोबार में सिर्फ लोकल गैंग ही नहीं बल्कि बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगो के शामिल होने के सबूत मिलने लगे है. इसके सबूत है अभी हाल ही में धनबाद जिला टास्क फोर्स द्वारा जब्त 54 अवैध कोयला से लदे ट्रक, यह ट्रक तोपचांची और हरिहरपुर से जब्त किये गए थे.
बिहार और उत्तरप्रदेश का भी अवैध धंधे में दबदबा
जानकारी के अनुसार जब्त ट्रको में 14 बिहार और 10 उत्तर प्रदेश से रजिस्टर्ड है. बिहार के पटना, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, नवादा, शेखपुरा, गया, मोतिहारी, बक्सर, छपरा से रजिस्टर ट्रक पकड़े गए है. वहीं उत्तर प्रदेश के मऊ ,बलिया, गोरखपुर, गाजीपुर, रायबरेली व इटावा से रजिस्टर्ड ट्रक भी जब्त हुए है. जब्त ट्रको में नागालैंड और पश्चिम बंगाल के भी रजिस्टर्ड ट्रक है. बाकी ट्रक धनबाद, गिरिडीह, हजारीबाग, कोडरमा, रांची ,बोकारो से रजिस्टर्ड है. इतना ही नहीं, जब्त आधे से अधिक ट्रक फाइनेंस कराए गए है. फाइनेंस कराने के बाद ट्रक मालिकों ने गाड़ियों को कोयले के अवैध धंधे में झोंक दिया था. धनबाद कोयलांचल कोयल के अवैध धंधे को लेकर हाल के वर्षो में सुर्खियों में रहा है.
पुराने जाएंगे और नए कप्तान आएंगे
इधर , धनबाद के एसएसपी संजीव कुमार का तबादला हो गया है. उन्हें प्रमोट कर दुमका प्रक्षेत्र का डीआईजी बनाया गया है. पाकुड़ के एसपी एच पी जनार्दनन धनबाद के नए एसएसपी बने है. अभी उन्होंने कार्यभार ग्रहण नहीं किया है धनबाद के हर रग से वाकिफ है. यहाँ ग्रामीण और रेल एसपी रह चुके है. बावजूद कोयला चोरी और अपराध उनके लिए निश्चित रूप से चुनौती होंगे. कोयला चोर तो अब लगता है कि बेकाबू होने लगे है. एक तरफ से अवैध मुहानो को बंद किया जाता है तो दूसरी तरफ से वह खोल लेते है. कोयला तस्करी में लगे लोगों को ईजी गोइंग मनी का इतना बड़ा चस्का लग गया है कि अब वह इस धंधे को बहुत आसानी से छोड़ने को तैयार नहीं होते दिख रहे है. हालांकि इसका एक दूसरा पक्ष भी है.
कोयलांचल में पेट के लिए हर दिन होती है मौत से लड़ाई
कोयलांचल में पेट के लिए हर दिन मौत से लड़ाई, मौत से लड़ने वालों को तो पेट चलाने भर का भी पैसा नहीं मिलता लेकिन दूर बैठे 'रिमोट' से गैंग चलाने वाले इन्हीं की बदौलत आराम की जिंदगी जीते हैं, चमचमाती महंगी गाड़ियों पर चलते हैं ,राजनीति में भी रसूख रखते है. कोयला काटने वाले जिन्दा में जोखिम तो लेते ही है ,मरने के बाद भी सदगति नहीं मिलती है. कोयला काटने या यूं कहिये कोयला चुराने वालो की भी अजीब कहानी है. परित्यक्त खदानों ,जिन्हे कोयला कम्पनिया असुरक्षित मानकर छोड़ देती है ,उसी खदान में खतरों से खेलकर कोयला निकालते है और बेचते है. नियम तो है कि परित्यक्त खदानों को पूरी तरह से भर दिया जाए ,मुहानों को सील कर दिया जाये लेकिन ऐसा होता नहीं है. और अगर होता भी है तो कोयला काटने में लगे लोग भरे गए मुहानो को फिर से खोद कर घुस जाते है और कोयला काटने लगते है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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