स्कूल का वक्त यूं गंवा रहे हैं ये बच्चे, न कोई रोकने वाला ना टोकने वाला- जानिये मामला क्या है


टीएनपी डेस्क (TNP DESK): झारखंड के किसी गांव में ये बच्चे पेड़ों के नीचे खेल रहे हैं. जबकि पढ़ने की इनकी उम्र है और तमन्ना भी. लेकिन इनके माता-पिता इन्हें आंगनबाड़ी और स्कूल नहीं भेजते तो बच्चे भी करें तो क्या करें. यह कहानी पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया इलाके की है. पिछले दो सालों में यहां बड़ामारा पंचायत के रंगामटिया गांव के ईद-गिर्द जंगली हाथियों ने 4 लोगों की जान ले ली है. हाथी का आतंक अबतक बरकरार है.
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चूंकि इन गांवों के बच्चे को आंगनबाड़ी या स्कूल जाने के लिए जंगल का रास्ता तय करना पड़ता है. टांगासोली स्कूल गांव से 3 किलोमीटर दूर है जबकि जामडोहरी आंगनबाड़ी लगभग 5 किलोमीटर पर है. जंगली मार्ग में हाथियों का आना-जाना लगा रहता है. अब तक मां-पिता बच्चे को स्कूल या आंगनबाड़ी छोड़ने जाया करते रहे हैं, लेकिन इधर छह महीने से उन्हें मजदूरी के लिए बाहर जाना पड़ता है. इसलिए वे अपने बच्चों को अकेले जाने से मना करते हैं.
पहले था गांव में स्कूल
रंगामटिया के ग्राम प्रधान सोमाय हेंब्रम के बकौल उनके गांव में दो टोला है. आबादी करीब 100 परिवार की है. इनके बीच एक प्राथमिक विद्यालय था, जिसे पांच साल पहले टांगासोली प्राथमिक विद्यालय में विलय कर दिया गया.
क्या कहते हैं अधिकारी
चाकुलिया बीआरसी के प्रभारी बीपीओ प्रणव बेरा का कहना है कि अब तक शिक्षा विभाग को जानकारी नहीं दी गई है. वरीय पदाधिकारियों को मामले से विचार-विमर्श कर रंगामटिया प्राथमिक विद्यालय को दोबारा शुरू किया जा सकता है.
जानिये झारखंड में हाथियों से नुकसान के आंकड़े
झारखंड में हाथियों के कारण हर वर्ष ग्रामीणों को जान गंवानी पड़ती है. 2021 में सामने आई एक रिपोर्ट के मुताबिक गत 11 साल में लगभग 800 लोगों की मौत हाथियों के कारण हुई है. पिछले आठ साल में विभिन्न कारणों से 60 हाथियों की मौत हो चुकी है. पांच हाथियों को तस्करों ने मार डाला, ट्रेन दुर्घटना से चार हाथियों, बीमारी से पांच हाथियों और आठ हाथी की मौत विभिन्न हादसों में हुई. जबकि एक हाथी को वन विभाग के आदेश के बाद 2017-18 में मारा गया था. 14 हाथियों की अप्राकृतिक मौत हुई है. आठ हाथियों की मौत अधिक उम्र हो जाने के कारण हुई है.
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