बदलती होली-ए बनवारी तोहर सोने के केवाड़ी, दूगो गोइठा देत, अब नहीं सुनाई देती ऐसी आवाज़ 

ए बनवारी तोहर सोने के केवाड़ी ,दूगो गोइठा देत, गोइठा नइखे, लकड़ी दऽ, लकड़ी नइखे पइसा देत", ए चाची तोहर सोने के केवाड़ी, दूगो गोइठा द ,  इस तरह के नारे,गाने  या स्लोगन के साथ युवकों का झुण्ड अब नहीं दिखता. गोइठा अब मांगा भी नहीं जाता है. खासकर कोयलांचल में तो बिल्कुल ही नहीं. सोमवार को कोयलांचल में अगजा  जलाया गया. पहले जगह-जगह जलाया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होता है. होली में काफी बदलाव आ गया है.

बदलती होली-ए बनवारी तोहर सोने के केवाड़ी, दूगो गोइठा देत, अब नहीं सुनाई देती ऐसी आवाज़