रांची(RANCHI): सरना धर्म कोड पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक बार फिर से बड़ी चर्चा छेड़ दी है. खूंटी में आयोजित महिला स्वयं सहायता समूह सम्मेलन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से इसे लागू करवाने में केंद्र सरकार को आवश्यक पहल करने का निर्देश देने का आग्रह किया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा इस विषय को आदिवासी समाज की महिलाओं के इस कार्यक्रम में उठाकर महफिल को एक तरह से लूटने का प्रयास किया है. एक बार फिर से इस विषय पर राजनीतिक चर्चा शुरू हो गई है. झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी कहा है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड में राज्यपाल के रहते जमीन से संबंधित कानून में परिवर्तन के रघुवर सरकार के प्रयास को सफल नहीं होने दिया. यह दर्शाता है कि द्रौपदी मुर्मू आदिवासियों के हितों की बड़ी शुभचिंतक हैं. राज्य के हेमंत सरकार ने विधानसभा से सरना धर्म कोड लागू करने संबंधी प्रस्ताव को पारित कराकर केंद्र सरकार के पास भेजा था.
हेमंत सरकार की नीयत ठीक नहीं है: भाजपा
भाजपा नेताओं का कहना है कि हेमंत सरकार की नीयत ठीक नहीं है सरना धर्म कोड को लेकर राज्य सरकार ने जो तरीका अपनाया वह बिल्कुल गलत था. राजभवन को बाईपास करके इस प्रस्ताव को सीधे केंद्र सरकार के पास भेज दिया. केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने इसे वापस राज्य सरकार के पास भेज दिया. इससे स्पष्ट होता है कि राज्य की रमन सरकार इस मुद्दे पर बहुत गंभीर नहीं है.
भजपा नेताओं ने क्या लगाया आरोप
भाजपा नेताओं का कहना है कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर बिल्कुल अस्पष्ट है कि वैसे धर्मांतरित आदिवासी के संबंध में बिल्कुल चुप है. भाजपा ने सवाल खड़ा किया है कि जिन्होंने सदियों पुरानी अपनी सांस्कृतिक परंपरा को छोड़ दूसरे धर्म को अपना लिया क्या उन्हें भी प्रकृति पूजक आदिवासियों की तरह आरक्षण मिलना चाहिए. ऐसे लाखों लोग हैं जिन्होंने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया है. वे आदिवासियों के हक और सुविधाओं का बेजा लाभ उठा रहे हैं. वैसे भाजपा नेताओं का यह आरोप है कि खूंटी में आयोजित महिला स्वयं सहायता समूह के सम्मेलन में इस राजनीतिक विषय को नहीं उठाना चाहिए था. यह सरकारी कार्यक्रम था. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस कार्यक्रम के दौरान यह भी कहा था कि आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड उनके अस्तित्व से जुड़ा हुआ है.
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