शहर जाम को लेकर बस मालिक और ऑटो चालक एक दूसरे पर लगा रहे आरोप, प्रशासन के रेस होने पर हुई है बेचैनी,जानिए क्या है मामला
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धनबाद(DHANBAD): धनबाद स्टेशन रोड पर जाम को लेकर बस मालिक और ऑटो चालकों के बीच ठन गई है. दोनों एक दूसरे पर सड़क जाम करने का आरोप लगा रहे हैं. इधर स्टेशन रोड के दुकानदारों को भी प्रशासन ने एक सप्ताह का समय दिया है और कहा है कि सड़क को अतिक्रमण कर बनाई गई जगहों को खाली करें अन्यथा कार्रवाई की जाएगी. आपको बता दें कि धनबाद स्टेशन रोड पर स्वपोषित योजना के तहत दुकानें बनी है. दुकानों के आगे स्थाई तथा अस्थाई निर्माण कर अतिक्रमण कर लिया गया है. गुमटी, ठेला नुमा दुकान तथा झोपड़ी जैसे अस्थाई निर्माण भी कर लिए गए हैं. इस कारण स्टेशन रोड में ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है. बार-बार की चेतावनी के बाद भी अतिक्रमण नहीं हटाया जा रहा है. गुरुवार को धनबाद के सदर अनुमंडल अधिकारी ने भी स्टेशन रोड का निरीक्षण किया और दुकानदारों से अनुरोध किया कि वह स्वत अतिक्रमण हटा लें अन्यथा 7 दिनों के बाद प्रशासन जबरन अतिक्रमण हटाएगा. इधर ,जाम को लेकर बस मालिकों और ऑटो चालकों के अपने-अपने तर्क हैं. बस मालिकों का कहना है कि स्टेशन रोड पर बसों का ठहराव 5 मिनट के लिए होता है, ऐसा आदेश भी मिला हुआ है और इसका बस वाले पालन भी करते हैं. कोई भी अधिकारी इसकी जांच करा सकता है लेकिन ऑटो चालकों के कारण स्टेशन रोड पर अराजक स्थिति बनी रहती है. श्रमिक चौक पर तो ऑटो चालक आड़े तिरछे वाहन लगाकर पैदल चलने लायक भी जगह नहीं छोड़ते. बगैर रूट वाले ऑटो का भी शहर में प्रवेश जारी है.
ऑटो एसोसिएशन ने क्या कहा
इसके उलट ऑटो एसोसिएशन का कहना है कि जाम के लिए सिर्फ ऑटो को जिम्मेदार ठहराना गलत होगा. किसी भी बड़े शहर में स्टेशन के बाहर बस स्टैंड नहीं है. जाम के कारण ही पिछले बार स्टेशन रोड से बस स्टैंड हटाया गया था .शहर के अंदर की बजाय बसों को बाहर का रूट दिया गया लेकिन अपने रसूख से बल पर बस संचालक आदेश वापस करा लिए. अभी भी लोगों की मांग है कि बसों को शहर के अंदर नहीं घुसने देना चाहिए.
जिला प्रशासन रेस
बहरहाल अतिक्रमण को लेकर जिला प्रशासन सहित नगर निगम फिलहाल रेस हुआ है. यह बात भी सच है कि अतिक्रमण और वाहनों के कारण सड़कें जाम हो जाती हैं. रात में यही सड़कें चौड़ी दिखती हैं लेकिन दिन में सकरी हो जाती है. परिणाम होता है कि वाहन चालको की बात कौन कहे, पैदल चलना भी कठिन हो जाता है.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह, धनबाद
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