बोकारो कांड : विस्थापितों पर लाठीचार्ज के बाद सबके निशाने पर क्यों रहे विधायक जयराम महतो, पढ़िए इस रिपोर्ट में !

धनबाद(DHANBAD) : बोकारो लाठीचार्ज में एक विस्थापित की मौत के बाद उठा विवाद अब थम गया है. यह अलग बात है कि शनिवार को मृतक के परिजनों को मुआवजा और आदमकद प्रतिमा लगाने का निर्णय होने के बाद आंदोलन खत्म हो गया है. लेकिन विस्थापितों का यह आंदोलन एक संदेश तो दे ही दिया है कि बाहरी-भीतरी की आड़ में बोकारो में अब किसी की राजनीति नहीं चलेगी. सांसद ढुल्लू महतो ने भी शनिवार को कहा कि बाहरी-भीतरी करने वालों को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इधर, बोकारो की विधायक श्वेता सिंह पहले से ही मोर्चा खोल कर बैठी है. विधायक जयराम महतो ने गुरुवार को विवाद के बाद जो कुछ कहा, उसे सेल के अधिकारियों के संगठन ने भी सही नहीं बताया था. सेल के अधिकारियों के संगठन का कहना है कि जिन लोगों से शांति बहाल करने में मदद की उम्मीद थी, वही लोग विस्थापितों को उकसा रहे है.
सेल के अधिकारियों ने भी मुख्यमंत्री से की थी हस्तक्षेप की मांग
सेल के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की थी. बता दें कि गुरुवार को विस्थापितो पर सीआईएसएफ की लाठीचार्ज में एक विस्थापित की मौत हो गई थी. उसके बाद बोकारो में हंगामा मच गया था. शुक्रवार को बोकारो में खूब बवाल हुआ. बोकारो स्टील प्लांट का उत्पादन ठप हो गया. 5000 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी प्लांट में फंस गए. शुक्रवार को डीसी की मौजूदगी में वार्ता हुई, लेकिन यह वार्ता विफल हो गई. वार्ता विफल होने के बाद बोकारो की विधायक श्वेता सिंह ने चेतावनी दी कि बोकारो स्टील प्लांट को वह चलने नहीं देगी. फिर शुक्रवार की देर रात को वह धरना पर बैठ गई. लेकिन शुक्रवार की देर रात को ही पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. फिर शनिवार की दोपहर उन्हें हिरासत से मुक्त किया गया. उसके बाद वह सीधे बीजीएच पहुंची.
शनिवार को पहुंचे सांसद ढुल्लू महतो, तब हुआ भुगतान
जहां घायल और मृतक के परिवार वालों से बातचीत की. फिर देर शाम सांसद ढुल्लू महतो भी पहुंचे और बातचीत के बाद मृतक के परिजन को 50 लाख रुपए मुआवजा का भुगतान हुआ. आदम कद प्रतिमा लगाने की बात तय हुई. अप्रेंटिसो को किस्त वार नौकरी देने की बात हुई. तब जाकर मामला शांत हुआ. वैसे शुक्रवार की देर रात को विधायक श्वेता सिंह को हिरासत में लेने के बाद बोकारो स्टील प्लांट का गेट खोल दिया गया था. सांसद ढुल्लू महतो ने भी स्पष्ट शनिवार को कहा कि बाहरी- भीतरी की राजनीति करने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इधर, विस्थापितों का भी कहना है कि राजनीतिक दलों को विस्थापन के नाम पर राजनीतिक रोटी सेंकने नहीं दी जाएगी. इसके पहले की अगर बात की जाए तो गुरुवार को विवाद के बाद जब डुमरी के विधायक जयराम महतो पहुंचे तो विधायक श्वेता सिंह ने इसका विरोध किया था. कहा जाता है कि विधायक जयराम महतो के गाड़ी का नंबर प्लेट उखाड़ दिया गया. दोनों के समर्थकों में विवाद भी हुआ.
पढ़िए-विधायक जयराम महतो ने क्यों कहा कि वह विधायक की हैसियत से नहीं आये है
इसके खिलाफ विधायक जयराम महतो ने कहा कि हम डुमरी के विधायक की हैसियत से बोकारो नहीं पहुंचे है. बल्कि पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष के नाते पहुंचे है. बोकारो विधानसभा से उनकी पार्टी को सम्मानजनक वोट मिले है. कहा तो यह भी जाता है कि शुक्रवार को उपायुक्त कार्यालय में वार्ता के दौरान भी जयराम महतो और श्वेता सिंह के समर्थक आमने-सामने हुए. श्वेता सिंह भी नहीं चाहती थी कि जयराम महतो वार्ता में शामिल हो. लेकिन स्थिति को बिगड़ते देख वह खुद बाहर आई और विधायक जयराम महतो से बातचीत कर उन्हें अंदर ले गई. इधर, फिर शनिवार को सांसद ढुल्लू महतो ने स्पष्ट कर दिया कि बाहरी- भीतरी के नाम पर राजनीति करने वालों को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. मतलब साफ है कि बोकारो में हुए विवाद के बाद विधायक जयराम महतो कांग्रेस और भाजपा दोनों के निशाने पर रहे. शनिवार को संसद ढुल्लू महतो ने जो कहा, अगर यह जमीन पर उतर गया तो बोकारो में विस्थापितों का लंबा आंदोलन अब खत्म हो जाना चाहिए.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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