TNP DESK: बिहार में शराबबंदी ही लोगों की जान पर भारी पड़ रही है. लोगों को नशा से मुक्ति के लिए पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के बाद नीतीश कुमार ने शराबबंदी का फैसला लिया .लेकिन इस फैसले को लागू करने के लिए तैयार किए गए तंत्र ही फेल कर गया है.नतीजा है कि लोगों की कीड़े मकोड़े की तरह जाने जा रही है. यह फैसला अब नीतीश कुमार पर ही भारी पड़ रहा है. सवाल यह भी उठाए जा रहे हैं कि क्या शराब बंदी को लेकर जो इंतजाम किए गए थे या जिनका दावा किया जा रहा था, वह सब धूल धूसरित हो गए.
डबल इंजन की सरकार पूरी तरीके से बिहार में फेल
सिवान, छपरा में शराब पीकर मरने वालों की लगातार बढ़ रही संख्या के बाद नीतीश कुमार पर हमले तेज हो गए हैं. प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव तो कहते हैं कि नीतीश कुमार थक चुके हैं. उनसे अब कोई काम नहीं हो रहा. डबल इंजन की सरकार पूरी तरीके से बिहार में फेल है. कोई उपलब्धि नहीं है. केवल विपक्ष को कोसा जाता है. इधर, 2 अक्टूबर को प्रशांत किशोर ने भी अपनी पार्टी के घोषणा के वक्त कहा था कि बिहार में शराबबंदी की कोई जरूरत नहीं है. शराब से जो राजस्व सरकार को प्राप्त होता है. उसका खर्च शिक्षा पर किया जाना चाहिए .इसका उन्होंने ब्लूप्रिंट भी लोगों के सामने रखा था. उस समय इस बात को लेकर प्रशांत किशोर की आलोचना भी हो रही थी. लेकिन उसके बाद सिवान, छपरा में कथित जहरीली शराब पीने से दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत की सूचना आ गई है.
शराबबंदी से लोगों की आदत नहीं छुटी है, बल्कि शराब के लिए विभिन्न जुगाड़ किया जा रहे हैं. ऐसी बात नहीं है कि बिहार के पुलिस तंत्र को इसकी जानकारी नहीं है, बावजूद शराब की बिक्री और खपत खूब हो रही है.कारवाई की फाइल तो जरूर मोटी हो रही है,लेकिन जमीन पर कहीं दिखाई नहीं देती. बिहार के सिवान और छपरा में हुई घटना के पहले मसरख में 2022 में भी जहरीली शराब कांड हुआ था. जिसमें 60 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. एक जानकारी के अनुसार सिवान और छपरा के दर्जन भर गांव में शराब पीने के बाद महिला समेत दो दर्जन लोगों की मौत हो गई है. 50 के लगभग लोगों का इलाज अस्पतालों में चल रहा है. कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई है.
यह अलग बात है कि मसरख थाना अध्यक्ष समेत पांच पुलिस अफसर को निलंबित कर दिया गया है. लेकिन इस निलंबन से क्या शराब की अवैध बिक्री बिहार में रुक जाएगी या और कुछ करने की जरूरत होगी. पता चला है कि भगवानपुर हाट में लगे मेले में बिक रही पाउच वाली शराब लोगों ने पी और उसके बाद मौत के शिकार हो गए. कई गांव में मछली पार्टी में भी लोगों ने शराब पी. जानकारी के अनुसार मौत का सिलसिला दो दिन पहले शुरू हुआ था. जब सिवान के भगवानपुर हाट में दो लोगों की मौत हुई थी. पार्टी में शराब का सेवन किया गया था. फिर मंगलवार की शाम से जो मौत का सिलसिला शुरू हुआ, वह बुधवार देर शाम तक जारी रहा. सिवान सदर अस्पताल में महिला समेत 17 लोगों के शव का पोस्टमार्टम कराया जा चुका है.
बिहार में शराबबंदी के बाद गांव-गांव में शराब की अवैध फैक्ट्री खुल गई
छपरा जिले में भी मंगलवार की रात से लोग बीमार पड़ने लगे थे. लोग तो यह भी बताते हैं कि बिहार में शराबबंदी के बाद गांव-गांव में शराब की अवैध फैक्ट्री खुल गई है. पाउच में शराब तैयार किया जाता है. उसके बाद इसे खेतों में गाड़ कर रखा जाता है. फिर खरीदार के हिसाब से इसे निकाला जाता है. और लोग ले जाकर शराब पीते हैं. फिर जहरीली शराब कांड हो जाता है. एक बार फिर शराब कांड को लेकर नीतीश कुमार पर हमले तेज हो गए हैं. अभी बिहार में डबल इंजन की सरकार चल रही है. ऐसे में केंद्र सरकार भी सारी जिम्मेवारी राज्य सरकार पर डालकर बच नहीं सकती है. देखना दिलचस्प होगा कि सिवान छपरा शराब कांड के बाद क्या व्यवस्था को और चुस्त, दुरुस्त किया जाता है या सब कुछ पहले की तरह ही चलता रहता है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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