धनबाद(DHANBAD) : चुनाव में "फंड मैनेजर" की बड़ी भूमिका होती है. हर एक पार्टी या प्रत्याशी लोकल स्तर पर फंड मैनेजर की पहचान करते हैं और उनका उपयोग करते है. इधर,झामुमो ने पार्टी फंड के लिए नया तरीका ढूंढ निकाला है. झामुमो के नेताओं का कहना है कि दावेदारों की संख्या इतनी अधिक है कि दबाव कम करने के लिए पार्टी ने नया तरीका अख्तियार किया है. लेकिन ऐसे फंड मैनेजिंग टेक्टिस के चश्मे से देखा जा रहा है. इस बार हर एक दावेदार को 51,000 के ड्राफ्ट के साथ आवेदन करना है. पार्टी ने एक आवेदन फार्म छपवाया है. इसमें विधानसभा क्षेत्र का नाम, पार्टी में कब से सदस्य हैं और सदस्यता संख्या की जानकारी देनी पड़ रही है. शैक्षणिक योग्यता, जाति, विवाह आदि का विवरण भी देना पड़ रहा है. सामाजिक कार्यों का विवरण भी बताना जरूरी है. फॉर्म पर प्रखंड अध्यक्ष से लेकर जिला अध्यक्ष के हस्ताक्षर भी लेने पड़ते है.
51,000 के ड्राफ्ट के साथ आवेदन बिलकुल नया फंडा
इसके बाद 51,000 का डिमांड ड्राफ्ट के साथ प्रदेश कार्यालय को जमा करना पड़ता है. यानी जिला स्तर पर अब फार्म जमा नहीं लेकर सीधे प्रदेश में फॉर्म जमा लिया जा रहा है. यह बात सच है कि 2024 के विधानसभा चुनाव में अन्य दलों की तरह झामुमो में भी दावेदारों की संख्या अधिक है. सभी लोग दावा कर रहे हैं कि अपने-अपने इलाकों में उन्होंने पार्टी को ताकत दी है. विधानसभा का चुनाव झारखंड मुक्ति मोर्चा को गठबंधन में लड़ना है. ऐसे में 81 विधानसभा में से अधिक से अधिक 45 सीटों पर झामुमो चुनाव लड़ सकता है. झामुमो की कोशिश है कि 2024 के विधानसभा चुनाव में वह अपने बलबूते सरकार बनाने का आंकड़ा जुगाड़ कर ले. इसके लिए उम्मीदवारों के चयन में भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है. कोल्हान और संथाल परगना पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का विशेष नजर है.
कांग्रेस के रोटेशन वाले बयान पर गंभीर है झामुमो
सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस के झारखंड प्रभारी के रोटेशन पर मुख्यमंत्री के बयान को भी झामुमो का केंद्रीय नेतृत्व गंभीरता से लिया है. उसके तहत काम कर रहा है. धनबाद के छह विधानसभा इलाकों की बात की जाए तो सिंदरी और निरसा में दावेदारों की संख्या अधिक है. इस बार एके राय की पार्टी का माले में विलय हो गया है. एके राय की पार्टी निरसा और सिंदरी से चुनाव लड़ती रही है. सिंदरी से आनंद महतो मासस की टिकट पर चुनाव जीतते रहे है. पिछली बार सिंदरी और निरसा सीट पर लाल झंडे को परास्त कर भाजपा ने अपना झंडा फहराया था. झरिया सीट पर भी कांग्रेस का कब्जा है, लेकिन अभी हाल ही में निरसा के पूर्व विधायक रूप चटर्जी ने वहां लाल झंडा का कार्यक्रम किया और दावा किया कि माले झरिया सीट से भी चुनाव लड़ेगी. हो सकता है कि यह दबाव की राजनीति हो, क्योंकि चर्चा तेज है कि धनबाद के 6 विधानसभा में से माले को सिर्फ एक सीट ही मिलने जा रही है. अब देखना दिलचस्प होगा कि यह दबाव की राजनीति कितना काम आती है और निरसा के अलावा सिंदरी सीट माले को मिल पाता है क्या?
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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