BIG QUESTION- देश की सबसे बड़ी पुनर्वास योजना झरिया में, फिर भी क्यों गोफ और दरारों में जलकर मर रहे लोग


धनबाद(DHANBAD): देश की सबसे बड़ी पुनर्वास योजना की सोमवार को कोयला सचिव समीक्षा करेंगे. रविवार को धनबाद के उपायुक्त वरुण रंजन बेलगड़िया में पुनर्वास के लिए तैयार हो रहे मकानों का निरीक्षण किया. झरिया के धनुडीह का गांधी चबूतरा तो अब जमीन में समा गया है. लेकिन परमेश्वर चौहान की जमीन की दरार में गिरकर मरने की घटना ने एक बार फिर गांधी चबूतरा को चर्चा में ला दिया है. हालांकि लोग बताते हैं कि गांधी चबूतरा के पास पहले भी घटना घटी है. एक भयावह घटना की भी लोग जिक्र करते है.
पत्नी ने सात सडियों की रस्सी से बचाई थी जान
लोग बताते हैं कि 2017 में एक व्यक्ति शौच के लिए गया था. इसी दौरान वह दरार में समा गया. सूचना पुलिस को दी गई. पुलिस आई, देखी सुनी और फिर चली गई. लेकिन पत्नी ने हिम्मत नहीं हारी और 7 साड़ियां और रस्सी के सहारे अपने पति को दरार से बाहर निकाला. घटना में उस व्यक्ति की जान तो नहीं गई लेकिन पति- पत्नी के पैर टूट गए. गांधी चबूतरा के आसपास रहने वाले लोग कहते हैं कि यहां रहना कौन चाहता है लेकिन रहने के लिए घर तो मिले. इधर, बीसीसीएल प्रबंधन का कहना है कि धनु डीह के गांधी चबूतरा के पास रहने वाले 75 लोगों की सूची जरेडा को उपलब्ध करा दी गई है. 20 लोगों को बेलगड़िया में आवास आवंटित कर दिया गया है. असुरक्षित क्षेत्र में रहने वाले लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट करने का प्रयास किया जा रहा है. परमेश्वर चौहान के शरीर के अवशेष को एनडीआरएफ की टीम ने 210 डिग्री टेंपरेचर से निकाला. मतलब जमीन के भीतर का तापमान बहुत अधिक है. गांधी चबूतरा के अगल-बगल रहने वाले लोग जहरीली गैस और तापमान से परेशान है. घरों तक में दरारे हैं और उससे गैस रिसाव हो रहा है. लेकिन अभी भी दो दर्जन परिवार ऐसे हैं, जो डर के बीच में अपना दिन और रात गुजार रहे है.
कब जमीन में समा जाएंगे ,कोई नहीं जानता
गांधी चबूतरा के आसपास रहने वाले लोगों का जीवन हर दिन डर में बीत रहा है.बारिश होने पर दरारों के अंदर से उठने वाली गैस और डरावनी आवाज से लोगों की नींद हवा हो जाती है. कब कौन काल के गाल में समा जाए, यह कोई नहीं जानता. बहरहाल जो भी हो लेकिन मानव जीवन को बचाना तो पुनर्वास योजना की पहली प्राथमिकता है. ऐसे में धनुडीह का गांधी चबूतरा के अगल-बगल के इलाकों में रह रहे लोगों को तुरंत पुनर्वास की जरूरत है. देखना है परमेश्वर चौहान की मौत के बाद भी सिस्टम जगता है या फिर फेका फेकी का खेल चलता रहता है. आज नहीं तो कल यह तो पूछा ही जाएगा कि परमेश्वर चौहान जैसे लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार कौन है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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