नक्सलियों के गढ़ में देशभक्ति की मिसाल, महिलाएं बना रहीं 40 हजार तिरंगा


लोहरदगा(LOHARDAGA): इस साल 15 अगस्त को आजादी के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं. इस दौरान देश की सूरत में काफी बदलाव आया है. झारखंड की बात करें तो यह राज्य नक्सल घटनाओं से परेशान रहा है. मगर, अब इसकी भी सूरत बदल रही है. आज हम झारखंड के ऐसे क्षेत्र की बात करेंगे जो कभी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था. जहां के लोग पठारी क्षेत्रों में तिरंगा फहराने से भी डरते थे. मगर, आज इसी क्षेत्र के लोग 40 हजार तिरंगे का निर्माण कर रहे हैं, जिसे इस बार घर-घर फहराया जाएगा. दरअसल, हम लोहरदगा जिले के किस्को प्रखंड की बात कर रहे हैं. यह वह प्रखंड है जो नक्सलियों का गढ़ माना जाता था. इस इलाके में लोग एक व्यक्त अपनी खुशियां भी डर के साये में मनाते थे. लेकिन अब समय के साथ किस्को प्रखंड की सूरत बदल गई है. यहां की महिलाओं की भी हालत बदली है.
महिलाएं बना रही हैं 40 हजार तिरंगा
पलायन करने वाली महिलाओं के हाथों में अब सुई धागों की स्पीड ने ले ली है. महिला मंडल से जुड़ी इन महिलाओं के द्वारा 40 हजार तिरंगा झंडा बनाया जा रहा है, जो झारखंड के घर-घर तक पहुंचाया जाएगा. इन महिलाओं का उत्साह चरम पर है, क्योंकि अपने घर की चौखट से बाहर कदम नहीं रखने वाली इन महिलाओं के हाथों में अब देश की अखंडता को जोड़ने का काम किया जा रहा है. इन तिरंगों ने इनके आत्मसम्मान को भी बढ़ाया है. किस्को प्रखंड मुख्यालय भवन परिसर में इन झंडो का निर्माण हो रहा है. लोहरदगा में बने इन तिरंगे झंडों को झारखंड राज्य के घर-घर तक पहुंचाया जाएगा. इन महिलाओं ने कहा कि कभी स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर इन्हें तिरंगा झंडा देखने को मिलता था, लेकिन अब यह इनके लिए गर्व की बात है कि सरकार की नीति के तहत घर-घर तिरंगा फहराया जाएगा और वह तिरंगा इन महिलाओं के हाथों से बने होंगे. वक्त के साथ तिरंगे को लहराते हुए देख इनका आत्मसम्मान और भी बढ़ता हुआ दिखाई देगा.
बॉक्साइट की नगरी लोहरदगा में 40 हजार तिरंगा झंडे के निर्माण को लेकर डीसी वाघमारे प्रसाद कृष्ण ने कहा कि यह लोहरदगा के लिए गर्व की बात है, लोहरदगा जिला की महिलाएं देश की शान में अपनी भूमिका पूर्ण रूप से अदा कर रही है, इन्होंने कहा कि आने वाले समय में इन्हें और भी प्रोत्साहित करने की दिशा में काम किया जाएगा.
महिलाएं दे रही एकता का संदेश
लोहरदगा जिला की ये महिलाएं अपनी स्पीड से इन धागों को और इन बिखरे रंगों को एक साथ जोड़ कर देश की शान बढ़ा रही हैं. बस हमें भी यही समझना होगा कि देश को आगे बढ़ाने के लिए हमें इन तीन रंगों की तरह आपस में जुड़ कर रहना होगा. इन महिलाओं के द्वारा सामूहिक रूप से यही संदेश दिया जा रहा है कि अगर हम अलग-अलग हुए तो देश की शान के लिए यह सही नहीं होगा, आइए हम भी तिरंगे के इन रंगों की तरह एक होकर हिंदुस्तान को आगे बढ़ाने की दिशा में अपना कदम बढ़ाए और इन महिलाओं के द्वारा दिए जा रहे संदेश को धरातल से दिल तक उतारने का काम करें.
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