धनबाद(DHANBAD): झारखंड में स्थानीय विधेयक पर बड़ी सियासी सरगर्मी के बीच 4 फरवरी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राज्य के दौरे पर रहेंगे. वह संथाल परगना को एक बड़ी सौगात देंगे. खाद कारखाने का शिलान्यास करेंगे. इस बीच स्थानीय विधेयक को लेकर घमासान मचा हुआ है. मुख्यमंत्री सोमवार को सरायकेला में खतियान जोहार यात्रा के दौरान कहा कि राज्यपाल नहीं, तीन करोड़ जनता की चुनी हुई सरकार जो चाहेगी, वही होगा और वही बिल बनेगा. सीएम ने कहा कि झारखंड राज्य लड़ कर लिया है, अब 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति भी संघर्ष कर बनाएंगे. स्थानीयता विधेयक लौटाए जाने पर राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि यह नई बात नहीं है. कई ऐसे राज्य हैं, जहां भाजपा की सरकार नहीं है, वहां राज्यपाल यह कर रहे हैं. लेकिन यह दिल्ली, जम्मू-कश्मीर व अंडमान नहीं है. यह झारखंड है. इसी मामले को लेकर निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. कहा है कि यह नीति मृग मरीचिका की भांति है. वह कभी हासिल होने वाली नहीं है. सरयू राय ने कहा कि मुख्यमंत्री से उनका निवेदन है कि शेर की सवारी करना छोड़ दें. लंबे समय तक शेर की सवारी नहीं की जा सकती. शेर की सवारी करने वाले जब गिरते हैं तो शेर उन्हें निगल जाता है. सरयू राय ने कहा कि राज्यपाल के परामर्श को ध्यान में रख टिकाऊ रास्ता निकालने की जरूरत है. भाजपा नेता व झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि यह मामला झारखंड के 3.5 करोड़ जनता के हित से जुड़ा हुआ है .इसलिए इसमें बार-बार राजनीति नहीं होनी चाहिए. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार झारखंड के बच्चों के हित में झारखंड की धरती पर ही विधि समत् निर्णय लें .राज्य सरकार को फेकाफेकी की राजनीति बंद कर अपने संविधान के अधिकारों का सदुपयोग करना चाहिए .राज्य सरकार को नीति बनाने का पूरा अधिकार है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि राज्यपाल भाजपा के हिडेन एजेंडा पर काम कर रहे हैं. 1932 खतियान आधारित नीति जनता की मांग थी .महागठबंधन सरकार ने संजीदगी से मांग को माना और विधानसभा से इसे पारित किया. भाजपा इसका विरोध सामने आकर नहीं कर रही थी तो संवैधानिक संस्थाओं के जरिए विरोध करवाया जा रहा है. राज्यपाल भी उसी अनुरूप काम कर रहे हैं ,जो सरासर गलत है.
रिपोर्ट:सत्यभूषण सिंह, धनबाद
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