सांसद -विधायक के लिए भी बड़ा सवाल: झारखंड को पहला नगर विकास मंत्री देने वाली झरिया कब तक बूंद -बूंद पानी को तरसेगी!


धनबाद(DHANBAD) : झारखंड को पहला नगर विकास मंत्री देने वाली झरिया अभी भी बूंद -बूंद पानी को तरस रही है. ऐसा लगता है कि पानी -पानी करते ही झरिया को "मार" दिया जाएगा. वैसे भी, प्रदूषण को लेकर झरिया के लोग परेशानी में है. पानी भी अब सबसे बड़ी समस्या बन गई है. झरिया के लोग पिछले तीन-चार दिनों से बूंद -बूंद पानी को तरस रहे है. दामोदर नदी में केमिकल युक्त काला पानी आने के कारण जामाडोबा जल संयत्र से जलापूर्ति स्वास्थ्य कारणों से ठप कर दी गई है. पानी के भंडारण का काम रोक दिया गया है. झरिया और आसपास के इलाके में पानी आपूर्ति ठप है.
दामोदर के जीर्णोद्धार की भी नहीं की जा रही कोशिश
बताया जाता है कि शुक्रवार की रात से वाशरी का केमिकल युक्त कला पानी का दामोदर नदी में बहना शुरू हुआ. उसके बाद से जामाडोबा जल संयंत्र में जल भंडारण और पानी सप्लाई का कार्य ठप कर दिया गया. शनिवार को झरिया से लेकर पुटकी तक पानी आपूर्ति ठप रही. कुछ इलाकों में आंशिक जलापूर्ति की गई, लेकिन इससे समस्या का समाधान नहीं हुआ. सवाल बड़ा है कि आखिर वाशरियो से केमिकल युक्त पानी दामोदर नदी में बहाया क्यों जा रहा है? यह तो एक गंभीर बात है. वैसे भी झरिया में पानी का कोई वैकल्पिक स्रोत नहीं है. इस वजह से लोगों को जलापूर्ति व्यवस्था पर ही निर्भर रहना पड़ता है. दामोदर नदी में कभी पानी बढ़ने, तो कभी पानी कम होने, तो कभी पाइप फटने, तो कभी बिजली नहीं रहने से जलापूर्ति बाधित होती रहती है. वैसे भी, झरिया को अब किस्तों में "मारने" की तैयारी शुरू हो गई है.
झरिया अब वह झरिया नहीं रही. वह तो पूरी तरह से "उजाड़" सी दिख रही है
झरिया अब वह झरिया नहीं रही. वह तो पूरी तरह से "उजाड़" सी दिख रही है. झरिया के अगल-बगल में भूमिगत आग का प्रभाव है. अग्निप्रभावित क्षेत्र में हमेशा धंसान और गैस रिसाव की घटनाएं होती रहती है. बावजूद लोग झरिया छोड़कर जाना नहीं चाहते है. इसका एकमात्र वजह है कि झरिया एक ऐसा शहर अभी भी है, जहां लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध हो जाते हैं और यही वजह है कि लोग झरिया छोड़कर जाना पसंद नहीं करते. झरिया पुनर्वास के लिए संशोधित मास्टर प्लान की अनुमति केंद्र सरकार से मिल गई है. काम भी चल रहा है, झरिया में रह रहे लोगों के लिए पानी पहले भी समस्या थी, आज भी है, और अब ऐसा लगने लगा है कि झरिया जब तक बचेगी, तब तक उसे पानी की समस्या झेलनी पड़ेगी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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