"मिशन रानीगंज " की तकनीक से निकलेंगे उत्तराखंड के उत्तरकाशी में फंसे 40 मजदूर


धनबाद(DHANBAD): धनबाद से सटे रानीगंज में 1989 में फंसे मजदूरों को निकालने की जो तकनीक अपनाई गई थी, उसी से मिलती-जुलती तकनीक उत्तराखंड के उत्तरकाशी में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए अपनाई जा रही है. रानीगंज की महावीर कोलियरी में फंसे 65 मजदूरों को निकालने के लिए कैप्सूल बनाया गया था, तो उत्तरकाशी में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए 150 मीटर लंबी पाइप डालने की तैयारी है. इस पाइप के जरिए मजदूर घुटने के बल चलकर बाहर निकालेंगे. उत्तराखंड के उत्तरकाशी में रविवार को तड़के सुरंग हादसे में फंसे मजदूरों को निकालने की जद्दोजहद जारी है. कुल 40 मजदूर फंसे हुए है. इनमें 16 झारखंड के है. मजदूरों को निकालने के लिए कहीं ना कहीं रानीगंज के महावीर कोलियरी में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए जो तकनीक अपनाई गई थी, लगभग उसी तरह की तकनीक वहां भी अपनाई जा रही है.
रानीगंज की महावीर कोलियरी हादसे पर फिल्म भी बनी है
रानीगंज की महावीर कोलियरी हादसे पर तो फिल्म भी बनी है. मिशन रानीगंज के नाम पर बनी फिल्म चर्चा में भी है. शुभ संकेत है कि उत्तरकाशी में मालवा गिरने के बाद भी मजदूरों के सुरक्षित होने की लगातार संकेत बाहर बचाव में लगे लोगो को मिल रहे है. बचाव दल को एक पाइप भी दिखाई दी ,जो मालवा गिरने के बाद भी सुरक्षित है. पाइप के पास वॉकी-टॉकी लगाया गया तो सिग्नल मिल गया. फिर मजदूरों ने सभी के सकुशल होने का मैसेज दिया. बाद में उस पाइप से ऑक्सीजन भेजी गई. भोजन की सामग्री भेजी गई. कंप्रेसर से तेज हवा भेजी गई. समस्या यह है कि जेसीबी जैसे ही ऊपर से मालवा हटाती है, ऊपर से और मालवा गिरने लगता है. ड्रिल कर ह्यूम पाइप डालने वाली मशीन देहरादून से मंगाई गई है. योजना के मुताबिक 150 मीटर लंबी पाइप इसमें डाली जाएगी और घुटनों के बल चल मजदूर बाहर निकालेंगे. यह उपाय कारगर हुआ तो सभी फंसे मजदूरों को बाहर निकाल लिया जाएगा. रविवार की सुबह देशभर के लोग दीपावली का त्यौहार मनाने की तैयारी कर रहे थे. उधर, उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग में हादसा हो गया.
घटना के पहले शनिवार को 70 मजदूर काम करने गए थे
घटना के पहले शनिवार को 70 मजदूर काम करने गए थे. घटना से पहले शौच या अन्य कामों के लिए कुछ लोग बाहर निकल गए थे. सुरंग में फंसे मजदूरों के घर वाले परेशान है. फिलहाल एक पाइप के भरोसे 40 से अधिक श्रमिकों की जिंदगी बचाने का संघर्ष चल रहा है. 1989 में 65 से अधिक कोयला मजदूर ECL रानीगंज की महावीर कोलियरी में फंस गए थे. उसके बाद तो कोयला उद्योग में तहलका मच गया था. रेस्क्यू ऑपरेशन में आगे नहीं बढ़ पा रहा था. फिर तो आईएसएम के 1965 बैच के अभियंता जसवंत सिंह गिल ने मोर्चा संभाला. जसवंत सिंह गिल ने अपनी देसी तकनीक अपनाई और उन्होंने आदमी की लंबाई का एक कैप्सूल बनाया. कैप्सूल की बनावट ऐसी थी कि उसमें आदमी प्रवेश कर सकता था और सुरक्षित बाहर भी निकल सकता था. उस कैप्सूल के सहारे एक-एक कर महावीर कोलियरी से फंसे 65 मजदूरों को बाहर निकाला गया था.यह दुनिया का अपने ढंग का अकेला रेस्क्यू ऑपरेशन था.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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