16 मई से देवघर सहित पूरे राज्य में खाद्य वस्तुओं का आवक बन्द किया जाएगा : चैम्बर


देवघर (DEOGHAR) : अप्रैल माह में संपन्न राज्यस्तरीय बैठक में आम सहमति बनाई गई थी कि यदि राज्य सरकार द्वारा 15 मई तक झारखण्ड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक 2022 को समाप्त नहीं किया जाता तब 16 मई से प्रदेश में खाद्य वस्तुओं की आवक और आपूर्ति व्यवस्था बाधित करने के लिए व्यापारी विवश होंगे. इसी निर्णय पर विमर्श के लिए गुरुवार देर शाम संप चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के नेतृत्व में एक बैठक हुई. इससे पूर्व फेडरेशन ऑफ झारखण्ड चैम्बर द्वारा राज्य के सभी जिलों के चैम्बर पदाधिकारियों और व्यवसायियों की ऑनलाइन बैठक हुई. बैठक में संप चैम्बर, राइस मिल एसोसिएशन, खुदरा दुकानदार संघ, देवघर चैम्बर के साथ देवघर के सभी प्रमुख खाद्य वस्तुओं से जुड़े व्यवसायी शामिल थे.
यह है विरोध की रणनीति
दोनों बैठकों में लिए गए निर्णय से संप चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष आलोक मल्लिक ने अवगत कराते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त विधेयक तथा 2 प्रतिशत कृषि बाजार समिति शुल्क का जोरदार विरोध जारी रखने में व्यापारी एकमत हैं. इस विधेयक के वापस लेने तक क्रमबद्ध आंदोलन जारी रखते हुए राज्य के खाद्यान्न व्यापारी 16 मई 2022 से राज्य में खाद्य वस्तुओं की आवक पूर्णतः बन्द करेंगे. चैम्बर द्वारा 16 मई से देवघर में आवक बन्द करने की सूचना उपायुक्त को शुक्रवार को दे दी जाएगी. खाद्य वस्तुओं के उत्पादक यानि मिलर, थोक खाद्य विक्रेता, गल्ला व्यवसायी तथा खुदरा दुकानदार सभी स्तर के व्यापारी 15 मई के बाद अपने यहां खाद्य वस्तुओं की खरीद यानि आवक बंद कर देंगे. इसका असर यह होगा कि वर्तमान स्टॉक समाप्ति के बाद स्वत: बाजार में खाद्य वस्तुएं मिलना बंद हो जाएगी. थोक विक्रेताओं और मिलों में स्टॉक समाप्त होने के बाद खुदरा दुकानदारों पर भी इसका असर पड़ेगा और बाजार में इसकी कमी हो जाएगी.
आर-पार के मूड में व्यापारी
व्यवसायियों का कहना है कि एक माह के क्रमबद्ध आन्दोलन के बावजूद सरकार ने अब तक व्यापारियों और चैम्बर के साथ वार्ता कर हमारी मांगो पर विचार करने की पहल नहीं की है. कृषि उत्पादक राज्य नहीं होने तथा मंडी के अवधारणा नहीं रहने के बावजूद यहां अतिरिक्त कृषि बाजार शुल्क लगाना अव्यवहारिक है. इससे झारखण्ड के व्यापारियों का व्यापार पड़ोसी राज्यों की तुलना में प्रभावित होंगे तथा राज्य में खाद्यान्न व्यवसाय में टिके रहना नामुमकिन होगा. व्यवसाय बन्द करने या विस्थापन की स्थिति पैदा होने लगेगी. अतः व्यापारी इस मुद्दे पर आरपार आन्दोलन के मूड में हैं.
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