जमशेदपुर (JAMSHEDPUR) : श्रीलंका में महंगाई के कारण बुनियादी चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं. 'श्रीलंका में ऐसे हालात क्यों हुए, साथ ही इससे भारत को क्या सबक लेनी चाहिए' इस गंभीर विषय पर एक्सएलआरआइ में एक्सपीजीडीएम डिपार्टमेंट की ओर से शुक्रवार को एक पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया. पैनलिस्ट में राहुल बाजोरिया (एमडी बार्कलेज कॉरपोरेट एंड इन्वेस्टमेंट बैंक), अंकुर शुक्ला (दक्षिण एशिया अर्थशास्त्री, ब्लूमबर्ग एलपी) आयुषी चौधरी (भारत और श्रीलंका अर्थशास्त्री, एचएसबीसी) और एक्सएलआरआइ के प्रोफेसर सह अर्थशास्त्री प्रो. एचके प्रधान शामिल थे.
संक्षेप में जानिए वक्ताओं की राय
- वक्ता आयुषी चौधरी ने कहा कि कोविड ने अर्थव्यवस्था को और अधिक विनाशकारी बनाया है, क्योंकि पर्यटन अर्थव्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण कारकों में से एक है. लेकिन पर्यटन ठप हो गया.
- बैंक पैनल डिस्कशन के दौरान बार्कलेज कॉरपोरेट के एमडी सह चीफ इकोनॉमिस्ट राहुल बाजोरिया ने कहा कि पाकिस्तान, नेपाल व मालदीव जैसे देशों में के साथ ही कई दक्षिण पूर्व एशियाई देश भी इसी प्रकार के संकट का सामना पूर्व से कर रहे हैं. लेकिन वे कुछ हद तक इस संकट से बाहर निकल गए. इससे भारत को सबक लेने की आवश्यकता पर उन्होंने बल दिया. उन्होंने भारत का उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे भारत ने अपने निर्यात में विविधता लाकर भुगतान संतुलन की समस्या पर काबू पा लिया.
- वहीं वक्ता अंकुर शुक्ला ने कहा कि ऋण पर काफी अधिक ब्याज का भुगतान भी श्रीलंका की आर्थिक विपन्नता के प्रमुख कारणों में से एक है. इससे भारत को सबक लेने की आवश्यकता पर बल दिया.
- मौके पर एक्सएलआरआइ के प्रोफेसर सह अर्थशास्त्री प्रोफेसर एचके प्रधान ने कहा कि अधिकतर ऋण अल्पकालिक ऋण होते हैं, इसलिए समय पर ऋण चुकाने में असफल होने की संभावना अधिक होती है. उन्होंने कहा कि श्रीलंका अपने घरेलू ऋण बाजार को विकसित करने में भारत से सीख सकता है.