रांची (RANCHI) : IAS पूजा सिंघल के 18 ठिकानों पर ED का छापेमारी पिछले 30 घंटे से लगातार जारी है. इसी कड़ी में राज्य के कई अधिकारी भी रडार पर हैं. इसी कड़ी में बगोदर विधायक विनोद सिंह ने सोशल मीडिया पर कमेंट किया है, जिसकी चर्चा चल रही है.
पूरी कहानी बगोडर विधायक की जुबानी
शायद 2011 की बात है. मैं विधानसभा समिति के स्थल निरीक्षण में चतरा गया हुआ था. हमारे साथ समिति में अरूप चटर्जी, और जनार्दन पासवान भी थे. जिला में समीक्षा के दौरान मैंने देखा कि मनरेगा की योजना में दो NGO को तत्कालीन उपायुक्त पूजा सिंघल के द्वारा करोड़ो रुपए अग्रिम भुगतान किए गए हैं. जबकि कार्य रिपोर्ट में कार्य की तस्वीर नहीं दिख रही थी. कुछ आधी अधूरी थी. मैंने स्थानीय विधायक जनार्दन जी से बात की, उन्होंने भी शंका जताई. फिर हम तीनों ने कुछ गांव जाकर निरीक्षण का फैसला लिया. कई योजना धरातल में थी ही नहीं. कुछ कुएं आधे अधूरे मिले भी तो उनका भुगतान मजदूरों को नहीं मिला, एक किसान ने अपना सर दिखाया कि मजदूरी भुगतान नहीं होने के कारण मजदूरों ने उनका सर फोड़ दिया जबकि उन सभी योजना के नाम पर निकासी हो चुकी थी. आकर हम सभी ने एक संक्षिप्त रिपोर्ट विधान सभा में दिया, ग्रामीण विकास विभाग को सौंपा, और एक उच्चस्तरीय जांच की मांग की. जाहिर है रिपोर्ट ठंढे बस्ते में रही.
उक्त घोटाला से सम्बंधित हमारा प्रश्न सूची में रहता था
विधायक ने कहा कि मैंने अपनी जांच के तथ्यों पर विधानसभा में सवाल उठाया, और अंततः तत्कालीन आयुक्त हजारीबाग नितिन मदन कुलकर्णी को हमारे सवाल पर जांच के लिए सौंपा गया. उन्होंने अपनी जांच में पूर्ण रूप से पूजा सिंघल को जिम्मेवार माना. इसी मध्य खूंटी से एक मनरेगा घोटाला की रिपोर्ट आई, उस समय भी वहां की उपायुक्त पूजा सिंघल थी, हमारे प्रश्न पर राम विनोद सिन्हा पर तो FIR हुआ लेकिन वरीय अधिकारी पर करवाई नहीं हुई. तब तक पलामू में भी क्रय में गड़बड़ी की शिकायत आई. फिर मैंने सरकार से प्रश्न पूछा कि आयुक्त हजारीबाग के रिपोर्ट पर करवाई क्यो नहीं हुई! तो सरकार ने कहा कि कार्मिक विभाग समीक्षा कर रही है. मुझे 2010 से 2014 के अंतिम दो विधानसभा सत्र चित्रपट की तरह याद है. जब भी उक्त घोटाला से सम्बंधित हमारा प्रश्न सूची में रहता था तो उसका नम्बर आने से पहले किसी और सवाल पर हंगामा हो कर सदन स्थगित हो जाता है.
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