दुमका (DUMKA) : दूसरों के हक और अधिकार की लड़ाई लड़ने वाले दुमका जिला के अधिवक्ता खुद अपना अधिकार पाने के लिए जगह जगह गुहार लगा रहे हैं. लेकिन सभी जगह उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है. जिले में 6 सौ से ज्यादा अधिवक्ता पंजीकृत हैं. औसतन 450 से 500 अधिवक्ता प्रतिदिन कोर्ट परिसर पहुचते हैं. लेकिन इनके बैठने के लिए समुचित व्यवस्था नहीं है. अधिवक्ता भवन पुराना है और उसमें महज 50 से 60 अधिवक्ताओं के बैठने की व्यवस्था है. नतीजा शेष अधिवक्ता पेड़ के नीचे झोपड़ी या टेंट लगाकर सालों भर सेवा देते हैं. कभी पेड़ की टहनी टूटकर इनकी झोपड़ी पर गिरती है तो कभी हवा के झोंके में शमियाना धराशायी हो जाता है.
बड़ा हादसा होने से टला
गुरुवार सुबह भी बड़ा हादसा टल गया. कोर्ट परिसर में गुरुवार की सुबह अचानक तेज आवाज के साथ वकीलों का शमियाना गिर गया. गनीमत रही कि केवल दो अधिवक्ता सुबोध कुमार झा और एक अन्य इसकी चपेट में आ गये. उन्हें मामूली चोट आयी है. चारों झोपड़ी गिरते ही व्यवहार न्यायालय के गेट में तैनात पुलिस कर्मी मौके पर पहुंचे और गिरी हुई झोपड़ी को उठाकर देखा कि कोई व्यक्ति उसके नीचे दबा हुआ तो नहीं है. पर संयोग से जिस समय झोंपडियां गिरी, उसके अंदर कोई वकील या मुवक्किल मौजूद नहीं थे, वर्ना बड़ा हादसा हो सकता था. बताया जाता है कि झोंपडियों के बांस को ठीक करवाने के दौरान यह हादसा हुआ क्योंकि बांस सड़ चुके थे जिन्हें बदला जा रहा था.
रिपोर्ट : पंचम झा, दुमका
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