हाथियों के कारण टुंडी के किसानों को माड़ - भात पर भी आफत !


धनबाद (DHANBAD) : टुंडी के किसानों जितनी मेहनत और पूंजी निवेश कर वे खेती करते हैं, हाथी सारे फसलों को नष्ट कर देते हैं. यह सिलसिला कोई आज से नहीं चल रहा है बल्कि लंबे समय से टुंडी के ग्रामीण हाथियों का आतंक झेल रहे हैं. सरकार चाहे किसी की भी हो, लेकिन हाथियों का कोरीडोर बनाने की योजना अब तक पूरी नहीं हुई है, नतीजा है कि जंगल कटने और रास्ता भटकने की वजह से हाथी रिहायशी इलाकों में प्रवेश कर रहे हैं. केवल फसलों का नुकसान नहीं कर रहे हैं बल्कि पटक- पटक कर लोगों की जान भी ले रहे हैं. आलम यह है कि किसानों के परिवार पर माड़ - भात पर भी आफत है. धान के मौसम में जब चावल तैयार करने के लिए उबाला जाता है तो उस की सोंधी खुशबू से भी हाथी आते हैं, लेकिन वन विभाग के पास इसे रोकने के कोई उपाय नहीं है.
आसपास होने का खौफ
टुंडी के लोग हाथियों का आतंक कुछ ज्यादा ही झेल रहे हैं. अभी दो दिन पहले हाथियों का झुंड टुंडी आया था, काफी मेहनत के बाद उन्हें गिरिडीह की ओर भगाया गया है. लेकिन जानकार बताते हैं कि सारे हाथी अभी गए नहीं है, झुंड से बिछड़ कर कुछ हाथी टुंडी पहाड़ी के किनारे बसे गांव में विचरण कर रहे हैं. पहाड़ी पर डेरा डाले हाथी पानी की तलाश में नीचे आते हैं और उसके बाद तबाही मचाते हैं.
समस्या का समाधान नहीं होता, मुआवजा जरूर मिलता है
बता दें कि सरकारी महकमा समस्या के समाधान के बजाय पता नहीं क्यों मुआवजा देने पर ज्यादा भरोसा करता है. उदाहरण के तौर पर कहा जा सकता है कि वित्तीय वर्ष 20- 21 में हाथियों के फसल, अनाज नुकसान करने के 109 मामले आए, जिसका मुआवजा वन विभाग ने चार लाख 72 हजार दिया. वित्तीय वर्ष 20 -21 में ही दो लोगों की हाथियों ने जान ले ली, जिसका वन विभाग ने आठ लाख मुआवजा दिए, वहीं घायलों को एक लाख का भुगतान किया गया. झारखंड बनने से अब तक धनबाद वन क्षेत्र में फसल और घर नुकसान करने के 2699 मामले आए, जिसका वन विभाग ने 76 लाख रुपए का भुगतान किया है.
रिपोर्ट : सत्य भूषण ,धनबाद
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