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जमशेदपुर (JAMSHEDPUR) - जमशेदपुर से सटे घाटशिला के गालूडीह में इडली बेचकर गुजारा करनेवाले सौम्यजीत गोराई औऱ आभा गोराई अपनी 1 साल की नन्ही परी गौरी गोराई की अत्यंत गंभीर बीमारी क्रानियोसीनोस्टोटिस से निराश हो चुके थे. बच्ची हर वक्त तकलीफ से रोती रहती थी. जनप्रतिनिधियों और सरकारी अस्पतालों के चक्कर काट काटकर वे थक चुके थे. एमजीएम ने तो इतनी जटिल बीमारी देखकर पहले ही हाथ खड़े कर लिए थे. गरीब के पास इतने पैसे कहां कि वे टीएमएच में कोशिश करते. जिंदगी की जद्दोजहद में वे बच्ची का आधार कार्ड भी नहीं बनवा पाए थे कि राशन कार्ड में नाम चढ़ता. राशन कार्ड में नाम नहीं तो आय़ुष्मान योजना का भी लाभ कहां से लेते? फिर हुआ कुछ ऐसा कि बच गई नन्हीं परी की जान, वहीं परिजनों के चेहरे पर खिली मुस्कान.
यूं बनी बात
दरअसल थक हार कर परिजनों ने सामाजिक कार्यकर्ताओँ के माध्यम से पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी से संपर्क साधा. कुणाल की संस्था नाम्या फाउंडेशन की टीम इस बच्ची की मदद के लिए जुट गई. सबसे पहले टीम नाम्या की निधि केडिया ने बच्ची का आधार कार्ड बनवाया जिसके बाद राशन कार्ड में उसका नाम जुड़वाया जा सका. उसके बाद कुणाल षाड़ंगी ने उड़ीसा के भुवनेश्वर एम्स प्रबंधन और चिकित्सकों से संपर्क साधकर बच्ची के बारे में बातचीत की जहां राशनकार्डधारियों के लिए रिआयत पर इलाज होता है. तीन महीना पहले बच्ची का भुवनेश्वर एम्स के चिकित्सकों ने 12 घंटे का जटिल ऑपरेशन किया जिसके बाद उसे विशेष निगरानी में रखा गया था. अब चिकित्सकों ने उसे फिट घोषित कर दिया है. बच्ची का ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा है और माता पिता की खुशी का ठिकाना नहीं हैं. ऑपरेशन में नाममात्र का खर्च पीड़ित परिजनों को उठाना पड़ा, वहीं कुछ मदद नाम्या फाउंडेशन के माध्यम से हो गई. नाम्या फाउंडेशन की निधि केडिया, पूर्णेंदु पात्रा, जयदीप आईच लगातार परिजनों को मदद करते रहे. बच्ची के परिजनों ने कुणाल षाड़ंगी औऱ नाम्या फाउंडेशन को धन्यवाद दिया है. इस मामले को तीन महीना पहले जमशेदपुर के सामाजिक कार्यकर्ता संजय विश्वकर्मा औऱ भाजपा नेता विजय सोय ने उठाया था. तब इसे एक अभियान भी बनाया गया था. पर जनप्रतिनिधियों से अपेक्षित मदद न मिलने पर उनलोगों ने पूर्व विधायक कुणाल से संपर्क साधा था.
सरकार से पूर्व विधायक के सवाल
पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने सवाल उठाया है कि जब उड़ीसा में एक राशनकार्डधारी गरीब के बच्चे का इलाज औऱ वो भी जटिल ऑपरेशन संभव है तो ऐसी सुविधा झारखंड में क्यों नहीं हो पाती? जानकारी के मुताबिक भुवनेश्वर एम्स में आयुष्मान योजना की सुविधा नहीं लेकिन राशनकार्डधारी होना काफी है. वहीं दूसरी तरफ झारखंड में एक तो बड़ी संख्या में गरीब हैं जिनके आय़ुष्मान कार्ड नहीं बन पाए हैं दूसरा आयुष्मान योजना के लाभार्थी भी निजी अस्पतालों की मनमानी की वजह से संघर्ष करते रहते हैं और यहां- वहां इलाज के लिए मारे मारे फिरते हैं. कुछ की गुहार सुन ली जाती है कुछ की अनसुनी रह जाती है. आखिर झारखंड स्वास्थ्य सुविधा के मामलों में ज़मीनी धरातल पर कब आम लोगों के लिए वो सुविधा उपलब्ध करा पाएगा जिसके वे हकदार हैं. झारखंड कब उड़ीसा से सीखेगा?
क्या है क्रानियोसीनोस्टोसिस
ये एक अत्यंत ही जटिल बीमारी है जिसमें बच्चों के सिर की हड्डियों के समय से पहले जुड़ने के कारण उनके सिर का आकार बढ़ जाता है और दिमाग, आंख और दूसरे अंग भी प्रभावित होने लगते हैं. ढाई हजार बच्चों में से एक को ये बीमारी होती है. बीमारी का समय से इलाज न होने पर बच्चे की सोचने समझने की क्षमता प्रभावित होने लगती है. साथ ही यादाश्त पर भी बुरा असर पड़ता है. क्रानियोसीनोस्टोसिस का ऑपरेशन काफी जटिल होता है. सर्जरी में सिर को पूरा खोला जाता है और फिर हड्डियों को कई टुकड़ों में अलग कर सही तरीके से जोड़ा जाता है.यही वजह है कि गौरी गोराई के 12 घंटे के जटिल ऑपरेशन के बाद चिकित्सकों ने तीन महीने तक उसे विशेष निगरानी में रखा.
रिपोर्ट : अन्नी अमृता, जमशेदपुर
Thenewspost - Jharkhand
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