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धनबाद(DHANBAD): कोयला खदानों का जब भी इतिहास लिखा जाएगा, इंजीनियर जसवंत सिंह गिल के नाम के बिना वह इतिहास हमेशा ही अधूरा रहेगा. इंजीनियर गिल ने कुछ किया ही ऐसा था कि लोगों की आँखे फटी की फटी रह गई थी. 1989 में जब ईसीएल की महाबीर कोलियरी में 64 मजदूरों के फंसने के बाद, जब सभी माथा पीट रहे थे, तब इंजीनियर गिल तरकीब ढूढ रहे थे. उन्होंने तरकीब ढूढ भी लिया और सभी फंसे मजदूरों को बाहर निकाल लिया.
अब तक का सबसे बड़ा बचाव कार्य
आज तक इसे कोयला क्षेत्र का सबसे बड़ा बचाव कार्य माना जाता है. इंजीनियर गिल ऐसे शख्स हैं जिन्होंने अब तक देश के कोयला खदानों में हुई दुर्घटना में सबसे बड़ा बचाव कार्य सफलतापूर्वक किया है. पंजाब के अमृतसर में एक चौराहे का नाम इंजीनियर गिल के नाम पर कैप्सूल गिल मेमोरियल चौक रखा गया है. इंजीनियर गिल का कोयलांचल से एक ऐसा नाता जुड़ गया है जो अटूट रहेगा.
कैप्सूल तकनीक से बचे 64 खनिक
ईसीएल की महावीर कोलियरी में जब पानी भर गया था और 64 खनिक जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे थे, जब सारे तरकीब फेल हो चुके थे, तब इंजीनियर गिल की तरकीब काम आई. सैकड़ों फिट नीचे पानी से मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए उन्होंने ऐसा एक कैप्सूल बनाया, जिससे बारी-बारी से पानी में फंसे सभी 64 खनिकों को सही सलामत बाहर निकाल लिया गया. यह इंजीनियर गिल के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी. उसके बाद तो उन्हें कई सम्मानों से नवाजा गया. महावीर कोलियरी झारखंड से सटे बंगाल में थी, लिहाजा बंगाल सरकार ने भी उन्हें कई सम्मान से नवाजा था.
रिपोर्ट: अभिषेक कुमार सिंह ,ब्यूरो हेड (धनबाद)
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