दुमका(DUMKA): दुमका लोक सभा क्षेत्र में 1 जून को मतदान है. चुनाव को लेकर प्रशासनिक तैयारी जोर शोर से चल रही है. कुल 19 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है.सभी प्रत्याशी को चुनाव चिन्ह आवंटित किया जा चुका है. प्रत्याशियों द्वारा क्षेत्र में सघन जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है. लगभग 16 लाख मतदाता इन प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करेंगे.
सीता सोरेन और नलीन सोरेन का खेल बिगाड़ सकती है मुन्नी हांसदा
इस सबके बीच दुमका में मुख्य मुकाबला बीजेपी प्रत्याशी सीता सोरेन और झामुमो प्रत्याशी नलीन सोरेन के बीच होना तय है. कोई भी प्रत्याशी तीसरा कोण बनाते नजर नहीं आ रहा है. लेकिन कुछ प्रत्याशी ऐसे जरूर है जो किसी प्रत्याशी के जीत हार में अहम भूमिका अदा कर सकता है. उसमें एक नाम है मुन्नी हांसदा का है. शिकारीपाड़ा की रहने वाली मुन्नी वर्ष 2019 का विधानसभा चुनाव शिकारीपाड़ा विधान सभा से तृण मूल के टिकट पर लड़ चुकी है. उस चुनाव में मुन्नी को करीब 2 हजार मत मिले थे. इस बार मुन्नी समता पार्टी के टिकट पर दुमका लोकसभा से अपनी किस्मत आजमा रही है.
कौन है मुन्नी हांसदा
मुन्नी हांसदा लगभग 2 दशक से जल, जंगल और जमीन की रक्षा को लेकर लड़ाई लड़ रही है. वर्ष 2007 - 08 में मुन्नी अचानक तब सुर्खियों में आई जब काठीकुंड में पावर प्लांट के विरोध में आंदोलन शुरू हुआ. जुझारू तेवर के साथ मुन्नी हांसदा ने आंदोलन का नेतृत्व किया. 6 दिसंबर 2008 को आंदोलनकारी और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई. पुलिस की ओर से गोली तो आंदोलनकारी की तरफ से तीर चला. अंत में कंपनी को दुमका से वापस जाना पड़ा. तभी से मुन्नी हांसदा जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए चलाए जा रहे आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रही है.
कुछ महीनों से शिकारीपाड़ा में मुन्नी की बढ़ी है सक्रियता
कुछ महीनों से मुन्नी की सक्रियता शिकारीपाड़ा में बढ़ी है. ईसीएल सहित कई कोल कंपनियों को शिकारीपाड़ा में कोल ब्लॉक आवंटित हुआ है. कंपनी जमीन अधिग्रहण के लिए प्रयास कर रही है, जिसे रैयतों के घोर विरोध का सामना करना पड़ रहा है. इसका नेतृत्व भी मुन्नी हांसदा कर रही है.
मुन्नी के चुनाव लड़ने से किसको होगा फायदा किसको नुकसान
अब सवाल उठता है कि मुन्नी हांसदा के चुनाव लड़ने से किस प्रत्याशी को फायदा होगा और किसको नुकसान यदि देखा जाए तो झामुमो भी जल, जंगल और जमीन की रक्षा को चुनावी मुद्दा बनाती है. झामुमो प्रत्याशी नलीन सोरेन शिकारीपाड़ा से 7 टर्म के विधायक हैं. पावर प्लांट के खिलाफ काठीकुंड में आंदोलन हुआ था और काठीकुंड शिकारीपाड़ा विधान सभा क्षेत्र में आता है. पिछले कुछ महीनों से शिकारीपाड़ा में कोल ब्लॉक का मुद्दा गरमाया है. मुन्नी हांसदा गांव गांव घूम कर रैयतों के आंदोलन को धार दे रही है. वैसे इस मुद्दे पर नलीन सोरेन भी कह चुके हैं कि वे रैयत के साथ हैं. इसके बाबजूद मुन्नी हांसदा ज्यादा प्रभावी है. मुन्नी हांसदा और झामुमो का चुनावी मुद्दा जल, जंगल और जमीन है. इस स्थिति में मुन्नी हांसदा को जो भी वोट मिलेगा उसका प्रत्यक्ष नुकसान को होगा और अप्रत्यक्ष रूप से लाभ बीजेपी को होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
रिपोर्ट-पंचम झा
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