धनबाद(DHANBAD): झारखंड मुक्ति मोर्चा के रणनीतिकार पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन फिलहाल जेल में है. झारखंड मुक्ति मोर्चा झारखंड के पांच लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ रहा है. राजमहल सीट पर तो सिटिंग सांसद को ही चुनाव लड़ाया जा रहा है, जबकि चार सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक चुनाव लड़ रहे हैं. यह अलग बात है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा में नाराज विधायकों की भी एक सूची है. कम से कम तीन लोकसभा सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के नाराज विधायक चुनाव मैदान में डटे हैं. इस तरह कुल मिलाकर पक्ष और विपक्ष की बात की जाए तो झारखंड मुक्ति मोर्चा के सात विधायक चुनाव मैदान में हैं.
जामा की विधायक सीता सोरेन भाजपा में शामिल होकर दुमका से चुनाव लड़ रही हैं. तो लोहरदगा से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक चमरा लिंडा नाराज होकर ताल ठोक रहे हैं .वहीं राजमहल से लोबिन हेंब्रम भी चुनाव लड़ रहे हैं. चार सीटों पर तो पार्टी ने विधायकों को अपना अधिकृत उम्मीदवार बनाया है. इनमें मथुरा महतो गिरिडीह से, नलिन सोरेन दुमका से,जोबा मांझी सिंहभूम से तो समीर मोहंती जमशेदपुर से शामिल हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा 2024 के चुनाव में दूसरे दलों से आए लोगों पर कोई भरोसा नहीं किया. यह कह सकते हैं कि लाने का प्रयास भी नहीं किया. पार्टी के कार्यकर्ताओं को ही प्रमोट किया है. तो क्या यह झारखंड मुक्ति मोर्चा की चुनावी रणनीति है या हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद पार्टी में किसी तरह की कोई टूट से बचने का एक रास्ता चुना गया है. यह अलग बात है कि अन्य विधायक भी टिकट के दावेदार थे और उन्हें जब टिकट नहीं मिला तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा 5 सीटों पर तो कांग्रेस 7 सीटों पर, बाम दल एक सीट और राजद एक सीट पर चुनाव लड़ रहा है.
यह अलग बात है की चर्चा तेज है कि कांग्रेस के कुछ सीटों के उम्मीदवारों की घोषणा पर रिव्यू चल रहा है. हालांकि इसकी अधिकृत पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में शिबू सोरेन और झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन कहीं मैदान में चुनाव लड़ते नहीं दिखेंगे. 2019 के चुनाव में शिबू सोरेन और चंपई सोरेन भी चुनाव लड़ा था. राजमहल सीट पर ही झारखंड मुक्ति मोर्चा को सफलता मिली थी. दुमका से शिबू सोरेन भाजपा प्रत्याशी के हाथों पराजित हो गए थे. भाजपा ने पहले नलिन सोरेन को दुमका से उम्मीदवार घोषित किया, फिर उनकी जगह सीता सोरेन को उम्मीदवार बनाया. जो भी हो लेकिन दुमका सीट अभी चर्चा में है. एक तरफ भाजपा उम्मीदवार सीता सोरेन भी शिबू सोरेन के नाम पर वोट मांग रही है तो नलिन सोरेन भी शिबू सोरेन की ही दुहाई दे रहे हैं. वैसे भी कहा जाता है कि लोकसभा चुनाव में झारखंड में कांग्रेस बड़े भाई की भूमिका में होती है. तो विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा बड़े भाई की भूमिका में होता है. झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इस बार अपने विधायकों पर ही भरोसा जताकर राजनीति का कोई न कोई संकेत तो दिया ही है. इसे विधायकों को प्रमोट कर सांसद बनने की कोशिश और फिर सेकंड लाइन के नेताओं को आगे करने का प्रयास बताया जा रहा है. लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि अधिक से अधिक विधायकों को संतुष्ट करने का पार्टी स्तर पर प्रयास किया जा रहा है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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