टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : झारखंड में विधानसभा का चुनाव नजदीक है. ऐसे में तमाम पार्टी अपनी-अपनी रणनीति के तहत अपने मजबूत इलाकों में दावं लगा रही है. बात कोल्हान की करें तो कोल्हान झामुमो का सबसे मजबूत किला है. यहां के 14 विधानसभा सीटों में से 11 सीटों पर झामुमो तो वहीं 2 सीट पर कांग्रेस का कब्जा है. लेकिन हाल में हुए राजनीतिक उलट फेर के बीच कोल्हान में कमल खिलाने की तैयारी में भाजपा जुट गई है. इस काम के लिए भाजपा ने तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. अगर वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखें तो पिछली बार पार्टी सभी की सभी 14 विधानसभा सीटें हार गई थी. लेकिन भाजपा अब कोल्हान की बाजी पलटने का प्रयास कर रही है.
कोल्हान में कमल खिलाने की जिम्मेदारी इन तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों पर
बता दें कि कोल्हान के 14 सीट से कम से कम 8 सीटें ऐसे हैं जहां के परिणाम बहुत हद तक तत्कालीन राजनीतिक स्थिति पर निर्भर करता है. ऐसा इस लिए क्योंकि हाल ही में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के भाजपा में शामिल होने के बाद अब भाजपा कोल्हान के सरायकेला विधानसभा सीट पर जीत की उम्मीद काफी बढ़ गई है. क्योंकि चंपाई सोरेन सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक चुने गए है. 1995 में वह पहली बार सरयकेला से विधायक बने जिसके बाद से चंपाई लगातार सरायकेला से विधानसभा जीतते आए है. उनकी पकड़ सरायकेला और आस पास के इलाकों में काफी अधिक है. इसकी एक बानगी रांची में चंपाई सोरेन के भाजपा में शामिल होने के दौरान देखी गई थी. सरायकेला एवं खरसावां विस क्षेत्र से बड़ी संख्या में समर्थक रांची में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए. इस लिए यह उम्मीद की जा रही है कि सरायकेला जो झामुमो का सबसे सुरक्षित सीट था चंपाई के पाला बदलने के बाद यह सीट झामुमो के हाथ से जा सकती है और इस सीट पर भाजपा अपना कब्जा जमा सकती है. इस सीट के अलावा खरसावां विस में भी कमल खिलाने की जिम्मेवारी चंपाई के कंधों पर है.
वहीं बात कर लें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा कि तो अर्जुन मुंडा झारखंड के बड़े चेहरों में से एक है. वे झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में तीन बार कार्य किए है. इसके साथ ही जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद भी रह चुके है. अर्जुन मुंडा की पकड़ कोल्हान के जमशेदपुर पूर्वी, पोटका, घाटशिला और बहरागोड़ा में काफी अधिक है. अगर विधानसभा के चुनाव में अर्जुन मंडा को इन सीटों कि जिम्मेदारी दी जाती है तो अर्जुन मुंडा इन सिटों पर झामुमो के मंसूबे पर पानी फेर कर भाजपा का झंडा फहरा सकते है. ऐसा इस लिए क्योंकि इन सीटों पर आदिवासियों कि संख्या काफी अधिक है. और विधानसभा के चुनाव में यह आदिवासी वोट झामुमो की तरफ जाते है..तो अर्जुन मंडा इन सीटों में कुछ सीटे भाजपा की झोली में डालने में कामयाब हो सकते है. इन इलाकों में आदिवासियों कि करें तो जमशेदपुर पूर्वी में आदिवासी करीब 50 प्रतिशत, पोटका में 50, घाटशिला में आदिवासी करीब 50 प्रतिशत है. वहीं बहड़ागोड़ा में आदिवासियों कि संख्या 40 प्रतिशत है. ऐसे में अर्जुन मुंडा के मैदान में आने से जाहिर है आदिवासी वोटरों में बंटवारा होगा और इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है.
इसी लिस्ट में तीसरा नाम पूर्व मुख्यमंत्री मधुकोड़ा का है. दरअसल मधुकोड़ा ने हाल ही में खुलेमंच से भाजपा का दामन थामा है. मधुकोड़ा के भाजपा में शामिल होने से पश्चिमी सिंहभूम का पूरा समीकरण बदल गया है. मधू कोडा के भाजपा में शामिल होने से पांच विधानसभा सीट चाईबासा, मझगांव, मनोहरपुर, जगन्नाथपुर, चक्रधरपुर पर खेल बिगड़ सकता है. बता दें कि मधू कोड़ा 'हो' जाति से आते है और 'हो' जाति में इनके बराबर कोई नेता सिंहभूम में नहीं है. यही वजह है कि मधू कोड़ा का एक इशारा ही पूरे वोट का समीकरण बदल सकता है. 2019 के विधानसभा चुनाव परिणाम को देखें तो 2019 में मधू कोड़ा कांग्रेस में ही थे पत्नि कांग्रेस के टिकट पर सांसद बन कर दिल्ली पहुंची थी. कोड़ा पूरी ताकत इस चुनाव में इंडी गठबंधन के लिए लगाया था. जिसका परिणाम भी देखने को मिला. लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले गीता कोड़ा ने भाजपा का दामन थामा और विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मधू कोड़ा भी चुपके से भाजपा में शामिल हो गए. जिसका इफेक्ट 2024 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है. पांचों विधानसभा क्षेत्र में परिणाम पिछले बार के मुकाबले अलग दिख सकते है. इन पांच विधानसभा क्षेत्र में हो समाज के लोगों की आबादी 54.37 प्रतिशत है.
अगर भाजपा के तीन पूर्व मुख्यमंत्री कोल्हान में अपना कमाल दिखा देते है तो सीधे तौर पर कोल्हान के 7 से 8 सीट भाजपा की झोली में जा सकती है. वहीं 2019 के चुनावी परिणाम को देखें तो 2019 में भाजपा की झोली में 25 सींटे आई थी. अगर 2024 विधानसभा चुनाव में कोल्हान में चंपाई, मधुकोड़ा और अर्जुन मुंडा का जादू चल जाता है तो भाजपा की जीत निश्चित मानी जा सकती है.
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