टीएनपी डेस्क (TNP DESK):-अभी द केरल स्टोरी कई सिनेमा हॉल में लगी है. फिल्म ने कमाई भी की और इसके साथ ही बवाल, उबाल औऱ तमाम तरह के सवाल भी खड़े हुए. इस फिल्म की इतनी चर्चा थी कि पीएम मोदी भी कर्नाटक चुनाव में इसका जिक्र किया था. हालांकि, अभी इसकी सुर्खिया वक्त के साथ कम होती जा रही है . इस फिल्म के बाद, एक और फिल्म पर्दे पर आने वाली है. जो लगता है कि एकबार फिर बावल खड़े करेगी और आग लगायेगी. फिल्म का नाम है 'अजमेर-92'. अभी इसे लेकर मुस्लिम संगठनों और दरगाह कमिटी ने विरोध किया है . आरोप है कि फिल्म के जरिए मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है .
'अजमेर-92' में है क्या ?
ये कहानी है साल 1992 की, जो राजस्थान के अजमेर में घटी थी. फिल्म की कहानी है सैकड़ों लड़कियों के साथ हुई हैवानियत औऱ दरिंदगी की. जिसमे लड़कियों ने अपनी अस्मत तो लुटायी, इसके साथ ही कड़ी दर कड़ी कई लड़कियां इसकी शिकार बनीं. रौंगटे और दिल को दहलाने वाले इंस कांड ने अजमेर ही नहीं , बल्कि देश को हिला के रख दिया था .
आंखे तब देश औऱ दुनिया की फटी की फटी रह गयी, जब अप्रैल की एक सुबह अजमेर के एक मशहूर कॉलेज की लड़कियां की आपत्तिजनक फोटो सर्कुलेट होने शुरु हो गये. इनमे अच्छे परिवार से ताल्लुक रखने वाली रईस लड़कियां भी थी. मालूम हुआ कि इनके साथ बलात्कार हुआ. कुछ के साथ तो गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया गया है. छोट शहर में ये खबर आग के माफिक फैल गई, हर की जुबान पर बस इन्हीं लड़कियों के साथ हुई दरिंदगी औऱ हवस का ही किस्सा था. इस दौरान एक अखबार ने ते लड़कियों के ब्लर करके तस्वीर भी छाप दी थी. कुछ के तो बयान भी छाप दिए थे . इस करतूत में जिनके नाम नाम आ रहे थे, इससे हर कोई दंग और नफरत से भर गया था
100 से ज्यादा छात्राओं की लूटी अस्मत
लड़कियों ने अपने बयान में शहर के रसुखदार परिवार के कुछ लड़कों के नाम लिया, जिसने ही दुष्कर्म किया . यह सिलसिला 1 के साथ शुरु हुआ, जो बाद में 100 लड़कियों से ज्यादा की आबरु लूटने पर खत्म हुआ. दरअसल, ये दरिंदें दुष्कर्म के दौरान छात्राओं के आपत्तिजनक फोटो खींच लिए जाते थे और फिर उन्हें शहर भर में सर्कुलेट करवाने की धमकी दी जाती थी। फोटो डिलीट करने का वादा कर पीड़ित छात्राओं से अपनी दूसरी सहेली को लाने को कहा जाता था। फिर उन्हें भी धमकी दी जाती थी। ऐसे ब्लैकबेल करने का सिलसिला चलता रह औऱ 100 से ज्यादा छात्राएं उन दरिंदों के जाल में फंस गई . कई पीड़ितो ने तो अपनी जिंदगी ही खत्म कर ली. कईयों ने गुमनामी में ही मौत को गले लगा लिया. जिसका आज तक अता-पता नहीं है.
रसूखदार परिवार से थे दरिंदे
जब पुलिस की तफ्तीश बढ़ी तो, हैरान करने वाला पहलू सामने आय़ा था। दरअसल, इस दरिंदगी को अंजाम देने वाले आरोपी, बेहद रसूखदार परिवार से थे. मामले में मुख्य आरोपी फारुक चिश्ती, नफीस चिश्ती, अनवर चिश्ती थे. तीनों यूथ कांग्रेस के अहम पदों पर भी थे. इसके अलावा अजमेर के चर्चित चिश्ती परिवार से भी इनके ताल्लुकात थे.
आठ को मिली उम्र कैद
पुलिस की जांच के बाद मामला अदालत तक पहुचा. कई सुनवाई के बाद 18 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया. जिसमे आठ दरिंदों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. जबकि कुछ आरोपी तो आज भी फरार चल रहे हैं.
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