टीएनपी डेस्क(TNP DESK): बिहार के पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन की जेल से रिहाई का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. 26 अप्रैल बुधवार को पैरोल खत्म होने के बाद सहरसा के मंडल कारा के लिए आनंद मोहन निकल गये. इस दौरान पत्रकारों से सवाल पूछे जाने पर आनंद मोहन ने अपने दोनों हाथ जोड़ लिया. और कहा कि आपके सवालों को मेरा प्रणाम है. जो भी बात करनी है. जेल से रिहाई के बाद ही करेंगे. आपको बताये कि कल 27 अप्रैल को सहरसा जेल से कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद आनंद मोहन को रिहाई मिल जायेगी.
29 सालों से डीएम जी कृष्णैया की हत्या की सजा काट रहे हैं आनंद
आपको बताये कि सांसद और बाहुबली आनंद मोहन पीछले 29 सालों से 1985 बैच के आईएएस गोपालगंज के जिला अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या मामले में सजा काट रहे हैं. बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने जेल कानून में संसोधन कर आनंद मोहन के साथ कुल 27 कैदियों को जेल से रिहाई के संबंध में अधिसूचना जारी की है. जिसके बाद बिहार में सियासत गर्मा गई है. नीतीश कुमार के इस फैसले पर डीएम की पत्नी के साथ आईएएस संगठन ने कड़ी आपत्ती जताते हुए डीएम कृष्णैया और दलित लोगों के साथ अन्याय बता रहे हैं.
कानून में संसोधन और रिहाई पर सियासत गरमाई
कानून में बदलाव कर आनंद मोहन की रिहाई करने पर विपक्षी पार्टी बीजेपी सीएम नीतीश कुमार को घेरने में लगी है. बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने सीएम नीतीश पर गंभीर आरोप लगाया है. और कहा हैं कि नीतीश कुमार बिहार में वोट पाने के लिए कानून में संसोधन कर आनंद मोहन की रिहाई करवा रहे हैं. नीतीशजी ने 2016 में क़ानून बदलकर प्रावधान जोड़ा था. कि किसी भी सरकारी अधिकारी की हत्या के दोषी को कभी भी माफ़ी नहीं मिलेगी. लेकिन अब अपने राजनीतिक के लिए क़ानून को बदलने पर मजबूर हो गये. तो वहीं यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने भी रिहाई पर कड़ी आपत्ति जताया है. और ट्वीट कर इस फैसले को जिला अधिकारी जी कृष्णैया के साथ और दलितों के साथ अन्याय बताया हैं. और सीएम नीतीश कुमार को इस पर विचार करने को कहा हैं.
सत्ताधारी पार्टियां संसोधन को बता रही है नियम संगत
वहीं बिहार में सत्ताधारी सभी दल इस फैसले का समर्थन कर रहे है. जेडयू के अध्यक्ष ललन सिंह ने 24 अप्रैल ने ट्वीट कर मायावती और बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी को ये पता होना चाहिए कि नीतीश कुमार के राज में आम से लेकर खास व्यक्ति सभी बराबर हैं. और आनंद मोहन ने सजा काट ली है. जो नियम संगत है. वो छूट उनको मिल रही है.
कौन थे जी कृष्णैया
आपको बताये कि जी कृष्णैया 1985 बैच के आईएएस अधिकारी थे. जिनको गोपालगंज जिले का डीएम का पदभार दिया गया था. जी कृष्णैया एक गरीब और दलित जाति से आते है. इनके पिता एक कूली थे. कुछ समय के लिए बचपन में कृष्णैया भी पढ़ाई के खर्च के लिए कूली का काम किया था. चंपारण में बतौर जिलाधिकारी जी कृष्णैया ने बहुत अच्छा काम किया था. जिसको देखते हुए मुख्यमंत्री लालू यादव ने अपने कृष्णैया को गृह जिले गोपालगंज का प्रभार सौंपा.
5 दिसंबर 1994 को हुई थी हत्या
जहां 5 दिसंबर 1994 को उनकी हत्या कर दी गई थी. जी कृष्णैया हाजीपुर से मतदाता पर्ची लेकर कार से गोपालगंज जा रहे थे. तभी पीपुल्स पार्टी के समर्थकों ने इनके अंगरक्षकों पर हमला कर दिया. जिसको देखरकर ये गाड़ी से बाहर निकले. तभी भीड़ ने कृष्णैया पर ही हमलावर हो गई. भीड़ ने पत्थर से कूचकर कृष्णैया की हत्या कर दी.
कुल पांच लोगों को बनाया गया था आरोपी
किसी भी तरह से जिंदा नहीं छोड़ेने के इरादे से छोटन के भाई भुटकुन ने डीएम पर फायरिंग भी की. इस घटना के बाद पूरे देश में हंगामा मच गया था. इस मामले में पुलिस के चार्जशीट में आनंद मोहन, लवली आनंद, भुटकुन शुक्ला, मुन्ना शुक्ला को आरोपी बनाया गया था.
हत्या में दोषी पाये जाने पर आनंद को मिली थी मौत की सज़ा
डीएम की हत्या में दोषी पाये जाने पर आनंद मोहन सिंह को मौत की सज़ा दी गई. जिसके बाद उसे उम्रक़ैद में बदल दिया गया. जिसके विरोध में तब की बिहार सरकार मौत की सज़ा बहाल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट गई थी. आज उसी आनंद मोहन की रिहाई के लिए वर्तमान की नीतीश सरकार ने कानून में संसोधन किया है.
क्या जदयू के जाल में फंस गई है आरजेडी रिहाई
आपको बताये कि 1995 में बिहार में आरजेडी की लालू सरकार थी. जिसने आनंद मोहन की मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने का विरोध जताया था. और कोर्ट से मौत की सजा को बरकरार रखने की मांग की थी. लेकिन आज बिहार में जेडयू के साथ गठबंधन में आरजेडी की सरकार है. जिसमें आरजेडी सुप्रिमो लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव बिहार के डिप्टी सीएम है. जो सीएम के कानून संसोधन और आनंद मोहन की रिहाई पर जश्न मना रहे है. क्या कभी मौत की सजा की मांग करनेवाली आरजेडी जदयू के जाल में फंसकर रिहाई का जश्न मनाने को मजबूर है.
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