पटना(PATNA): बिहार में जी. कृष्णैया हत्याकांड के दोषी आनंद मोहन की रिहाई के बाद बिहार के सत्तारूढ़ महागठबंधन में ही घमासान बढ़ता जा रहा है. महागठबंधन में शामिल पार्टी भाकपा(माले) ने आज 28 अप्रैल को बिहार के 300 प्रखंड मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर रही है. माले ने कहा कि सरकार को टाडा कानून लगा कर जेल में बंद कैदियों और शराबबंदी कानून के तहत कैद दलित-गरीबों की तत्काल रिहाई करनी चाहिए.
वामदल के सभी 12 विधायक सड़क पर उतरे
वामदल के सभी 12 विधायक अपने ही सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं. और मांग नहीं मानने के बाद सड़क पर उतरकर अपनी आंदोलन को तेज करने की बात कह रहे हैं. टाडा के तहत अभी 6 कैदी राज्य के जेल में बन्द है. जिसमे 2 की हालत गम्भीर है. सभी 6 कैदी 22 साल की सजा काट चुके है.
14 साल की सजा पर नरम, 22 साल पर चुप क्यों है सरकार
ऐसे में सवाल उठता है कि जब 14 साल सजा काट चुके कैदी पर बिहार सरकार रहम कर सकती है. तो 22 साल की सजा काट चुके कैदियों पर क्यों नहीं कर सकती है. टाडा के तहत जेल में बन्द शाह चांद की मृत्यु तक हो चुकी है. इसके साथ ही चुरामन भगत जिनकी उम्र 78 साल की हो गई है. 22 साल की सजा काट चुके है. और अभी उनकी तबियत खराब है. वो अस्पताल में भर्ती है. इनको भी रिहाई मिलनी चाहिए.
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