Patna-अभी चंद दिन पहले ही बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह की जयंती के अवसर पर पटना के सदाकत आश्रम में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पूर्व सीएम और लालू यादव को सोने की मुकुट पहना कर स्वागत किया गया था, अब उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को चांदी का मुकुट पहनाया गया है.
और यह सारा कार्यक्रम उसी श्री कृष्ण सिंह की जयंती समारोह से जुड़ा है. जिसके बाद सियासी गलियारों में यह सवाल खड़ा होने लगा है कि क्या यह बिहार के बदलते सियासी समीकरण की ओर कोई बड़ा संकेत हैं, क्योंकि अब तक सवर्ण मतदाताओं के बारे में दावा किया जाता था कि उनका वोट एकमुस्त रुप से भाजपा में जाता है, खास कर तब जब यह आरोप लगाया जाता है कि कभी लालू यादव ने भूमिहार जाति को निशाने पर लेते हुए भूरा बाल साफ करने का नारा दिया था, हालांकि लालू यादव ने यह नारा कब दिया था, और दिया भी था या नहीं, या यह सब कुछ महज मीडिया की उपज था, यह एक जूदा सवाल है, लेकिन यह तो एक सच्चाई कि सवर्ण मतदाताओं का वोट थोक भाव में भाजपा में जाता रहा है, लेकिन अब उसी भूमिहार जाति के द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में कभी लालू यादव को सोने की मुकुट पहनायी जाती है तो कभी तेजस्वी को चांदी की मुकुट पहनाकर सम्मानित किया जाता है.
जातीय जनगणना के आंकड़ों के प्रकाशन के बाद बदल रही है सवर्ण मतदाताओं की पंसद
जिसके बाद यह सवाल खड़ा होने लगता है कि क्या बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़ों के प्रकाशन के बाद सवर्ण मतदाताओं की पसंद बदल रही है, और इसी का नतीजा है कि अब उनके द्वारा कभी लालू यादव और कभी उनके बेटे तेजस्वी को मुकुट पहनाकर इस बदलाव का संकेत दिया जा रहा है.
जानकारों का दावा है कि यह पहल एकपक्षीय नहीं है, खुद राजद की कोशिश भी सवर्ण मतदाताओं को अपने पाले में लाने की है. खुद तेजस्वी भी बार बार यह दावा करते रहे हैं कि राजद ए टू जेड की पार्टी है, इस पर किसी खास जाति का टैग लगाना महज विरोधियों की साजिश है. और शायद इसी कोशिश में तमिलनाडू के पूर्व डीजीपी करुणा सागर को राजद का प्रवक्ता बनाया गया है. और यही करुणा सागर इस आयोजन के मुख्य कर्ताधर्ता है. इसके साथ ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह भी इस कार्यक्रम के मुख्य आयोजकों में से एक हैं. ध्यान रहे कि पिछली बार इसी कार्यक्रम के दौरान लालू यादव ने यह कह कर सियासी भूचाल ला दिया था कि जब वह जेल में बंद थें, तब उन्होंने ही सोनिया गांधी को जेल से ही फोन कर अखिलेश प्रसाद सिंह को राज्य सभा भेजवाया था, माना जाता है कि यह बयान देकर भी लालू यादव भूमिहार मतदाताओं को यह बताने की कोशिश कर रहे थें कि मीडिया में चलायी जाने वाली तमाम खबरों के विपरीत वह कभी भी सवर्णों के दुश्मन नहीं रहे हैं, बल्कि इसके इसके विपरीत उनकी कोशिश इस तबके से आने वाले युवाओं को सियासत में आगे बढ़ाने की रही है, और अखिलेश प्रसाद सिंह इसका उदाहरण है
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