बिहार: लालू प्रसाद यादव के नए घर में नए इंतजाम,क्यों बदलने लगी है राजद की पीढ़ी,क्या संभाल पाएंगे तेजस्वी


TNP DESK- बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद लालू प्रसाद की पार्टी राजद में तो बहुत कुछ बदल रहा है. साथ ही साथ लालू प्रसाद यादव भी पटना में नए घर में चले गए है. यहां अब उनसे मिलने वालों को पहले की तरह स्वतंत्रता नहीं रहेगी. यहां के इंतजाम लालू प्रसाद के पहले के आवासों से बिल्कुल अलग है. यह अलग बात है कि लालू प्रसाद की सेहत की जरूरत को देखते हुए ऐसा किया गया है. लेकिन यह फैसला राजद में किसी बड़े बदलाव का संकेत तो जरूर देता है. अब पार्टी के सारे कार्य तेजस्वी यादव ही संभाल रहे है. लालू प्रसाद यादव के पहले कार्यकाल के दौरान उनके आवास एक अ णे मार्ग पर था. बाद में राबड़ी देवी के नेतृत्व में यह 10 सर्कुलर रोड पर शिफ्ट हुआ. दोनों ही आवास सुलभ राजनीतिक केंद्र के रूप में थे.
अब लालू प्रसाद से मिलने के लिए लेनी होती है पूर्वानुमति
यहां बिना किसी रोक-टोक के आने जाने की अनुमति थी. आवासों में अक्सर भीड़ भी देखी जाती थी. एक अ णे मार्ग का भी वही हाल था. इसके विपरीत नए घर में आने वालों की जांच होती है. पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए पहले से इजाजत लेनी पड़ती है. साथ ही बैठकों से बचा जाता है. फिलहाल लालू प्रसाद यादव के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जा रही है. मेडिकल टीम आती जाती रहती है और लालू प्रसाद का फोकस शांति और विश्राम पर है. राजनीतिक चर्चाएं कम होती जा रही है. ऐसा लग रहा है कि राजद में पीढ़ी का बदलाव हो रहा है. दरअसल, लालू प्रसाद यादव बिहार के एक ऐसे पॉलिटिशियन हैं, जिनका अपना एक अलग अंदाज है. हाजिर जवाबी में तो उनका कोई सानी नहीं है. लेकिन धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य कमजोर होता गया है. परिवार में भी विवाद बढ़ गया है. बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को तो पहले ही पार्टी और घर से बेदखल कर दिया गया है.
किडनी देने वाली बेटी रोहिणी आचार्य भी पटना से सिंगापुर चली गई है
किडनी देने वाली बेटी रोहिणी आचार्य भी पटना से सिंगापुर चली गई है. हालांकि जाने के पहले उनके ट्वीट से असहज स्थिति भी पैदा हुई. जदयू के लोगों को चुटकी लेने का मौका मिल गया. यहां तक कह दिया गया कि लगता है कि लालू प्रसाद यादव को नजरबंद कर लिया गया है. अगर ऐसा है तो जदयू ने उन्हें सुझाव दिया था कि वह पटना डीएम को आवेदन करें ,उन्हें मुक्त कराया जाएगा. दरअसल, 2025 के विधानसभा चुनाव में राजद के साथ-साथ महागठबंधन की करारी हार हुई है. इस हार के बाद कई तरह की बातें हवा में तैर रही है. कांग्रेस भी अब एकला चलो की राह पर चलने की तैयारी कर रही है. इधर लालू प्रसाद यादव अब राजनीति से धीरे-धीरे अलग होते दिख रहे है. ऐसे में राजद को फिर से बिहार में स्थापित करना तेजस्वी यादव के लिए बहुत बड़ा चैलेंज होगा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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