रोहतास(ROHTAS):रोहतास में डेहरी के पड़ाव मैदान में राजद विधायक फतेह बहादुर सिंह की ओर से भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयंती सह फातिमा शेख सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था. जिसमे बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर, भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री अति पिछड़ा कल्याण मंत्री के साथ कई मंत्री शामिल हुए. वहीं शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने अपने संबोधन में कहा कि सावित्री बाई फुले देश की प्रथम महिला शिक्षिका थी, जिन्होंने देश की महिलाओं और उनके बच्चे को शिक्षा देकर सामाजिक उत्थान के रास्ते पर खड़ा किया, जिसकी बदौलत आज देश में महिलाओं को शिक्षा के बदौलत देश के सभी सभी क्षेत्रों में अपना योगदान आज दे रही हैं.
मंत्री ने कहा देश में फैलाया जा रहा है पाखंडवाद
वहीं आगे शिक्षा मंत्री ने केंद्र की सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि देश में जो सामाजिक न्याय, शिक्षा, रोजगार और पाखंडवाद के खिलाफ जो बात करेगा उसे जीभ और गर्दन काटने पर पुरस्कृत करने का ऐलान किया जा रहा है, ताकि इन सभी मुद्दों पर बात ना करके देश की जनता उनके पाखंडवाद और ब्राह्मणवाद के रास्ते पर चलकर अशिक्षित रहे और उनकी हुकूमत चलती रहे.
केंद्र सरकार जनता को असल मुद्दे से भटकाकर पाखंडवाद की ओर ले जा रही है- आलोक मेहता
वहीं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि वर्तमान की केंद्र सरकार देश की जनता को असल मुद्दे से भटकाकर पाखंडवाद की ओर ले जा रही है, ताकि इनकी नाकामियों की तरफ किसी का ध्यान नहीं जाए, और देश की जनता शिक्षित और असंगठित रहे ताकि देश की बागडोर इन्हीं सामंतवादी विचारधारा के लोगों के हाथ में रहे, लेकिन ऐसा अब बिल्कुल ही नहीं है देश के बहुजन अब जागृत हो चुके हैं, और शिक्षित होते हुए संगठित हो रहे हैं आनेवाले समय में इनके खिलाफ देश की जनता खड़ा होकर इन्हें उनकी औकात दिलाने का काम करेगी.
रामचंद्र यादव ने कहा कि पाखंडवाद के रास्ते वर्तमान केंद्र की सरकार सत्ता पर काबिज हुई है
वहीं दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर रहे रामचंद्र यादव ने कहा कि पाखंडवाद के रास्ते वर्तमान केंद्र की सरकार सत्ता पर काबिज हुई है और देश के बहुजनो को शिक्षा से वंचित करते हुए पाखंडवाद की ओर ले जाने का प्रयास कर रही है, और देश में जो भी पाखंडवाद,शिक्षा और रोजगार की आवाज को बुलंद करेगा उन्हें इन सामंतवादी और पाखंडवादियों के द्वारा परेशान करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के बने संविधान और उनके सिद्धांतों पर चलकर अब बहुजन जागरूक हो चुके हैं. मंदिर और पाखंडवाद के तरफ ना जाकर शिक्षा का अलख जगा रहे हैं.
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