रांची(RANCHI)-राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन एक बार फिर से झामुमो के निशाने पर हैं, झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य के बाद इस बार मोर्चा विधान सभा अध्यक्ष रविन्द्रनाथ महतो ने खोला है. अपने ट्विटर अकाउंट पर उन्होंने राजभवन पर भाजपा के इशारे पर काम करने का गंभीर आरोप लगाया है, इसके बाद झामुमो कार्यकर्ता सम्मेलन में भी राजभवन की भूमिका पर कई सवाल खड़े कर दियें.
विधान सभा मे विशेष सत्र बुलाकर आदिवासियों की पहचान सरना धर्म कोड को विधान सभा से पारित कर राजभवन को भेजा लेकिन राजभवन से बिल को लौटाया गया।
— Rabindra Nath Mahato। Speaker - Jharkhand Assembly (@Rabindranathji) June 25, 2023
1932 का खतियान को विधान सभा से पारित कर राजभवन को भेजा , जो वो भी लोटा दिया गया। राज्य भवन भी भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है। pic.twitter.com/6nz5oE3eqk
सरकार ने अपना काम किया, राजभवन ने लगाया अड़ंगा
उन्होंने कहा कि राज्य की हेमंत सरकार ने सरना धर्म कोड को विधान सभा से पारित कर राजभवन भेजा था, हेमंत सरकार की मंशा साफ थी कि सरना धर्म कोड पारित होने के बाद जनगणना के समय इस बात की जानकारी सामने आ जायेगी कि राज्य में सरना धर्मलंबियों की वास्तविक संख्या क्या है, जिससे कि उनकी सामाजिक–आर्थिक जरुरतों के अनुरुप नीतियों का निर्माण किया जा सके. हमने तो अपना काम कर दिया, लेकिन राजभवन इसमें अड़ंगा मार गया और उसने इस प्रस्ताव को वापस भेज दिया, इस प्रकार यह कानून का रुप नहीं ले सका. राजभवन के इस कार्रवाई से साफ हो जाता है कि सरना धर्मलंबियों का हितैषी कौन है, और कौन दुश्मन?
राज्यपाल का जवाब, अटॉर्नी जनरल की राय पर लिया फैसला
राजभवन सिर्फ यहीं नहीं रुका, उसने तो 1932 का खतियान, पिछड़ों का आरक्षण में विस्तार संबंधी विधेयक को भी वापस कर दिया, हम तो हर बार यहां के आदिवासी-मूलवासियों के कल्याण के लिए अपना काम करते हैं, दलित पिछड़ों के अधिकारों के लिए नीतियों का निर्माण करते हैं, लेकिन हर बार राजभवन इसमें अड़ंगा मार जाता है. हालांकि इन सारे आरोपों पर का जवाब देते हुए राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा है कि मैं किसी भी कानून के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन कोई भी काम कानून के दायरे में होना चाहिए. इन तमाम विधेयकों को वापस करने का फैसला अटॉर्नी जनरल की राय पर ली गयी थी.
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