रांची :- चुनाव की तारीख के एलान के साथ-साथ नेताओं ने भी चुनाव प्रचार तेज कर दिया है. जोशिले नारों से आसमान गूंजने लगा है और सभी वोटर्स को लुभाने में लग गए हैं. सात चरण में होने वाले लोकसभा चुनाव में कई दिग्गज एकबार फिर मैदान में ताल ठोकते नजर आएंगे, तो कई इस बार किसी न किसी वजह से नदारद रहेंगे. झारखंड के इन मंजे और तजुर्बेकार नेताओं की कमी इस बार दिखेगी. हालांकि, इनमे कई ऐसे नाम है, जिनका पत्ता कट गया और कईयों का अभी तक पता नहीं चल पाया है कि दंगल में उतरेंगे या नहीं .
शिबू सोरेन - दिशोम गुरु शिबू सोरेन दुमका की लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ते आए हैं. 1980 से पहली बार शुरु हुआ सिलसिला लगातार जारी रहा. बीच-बीच में उनके परिवार से लोग उनकी जगह पर चुनाव लड़ते रहे. लेकिन, झारखंड मुक्ति मोर्चा के कद्दावर नेता शिबू सोरेन दुमका से चुनाव लड़ते आए हैं. इस बार उनकी बढ़ती उम्र का मसला हावी होता दिख रहा है. हवाओं में इस बात की चर्चा है कि जमीन घोटाले के आरोप में जेल में बंद हेमंत सोरेन दुमका से दांव आजमा सकते हैं. हालांकि, अभी कुछ भी साफ नहीं है. चर्चा तो हेमंत सोरेन की वाइफ कल्पना और सीता सोरेन की लड़ने की होती रही है. दुमका से अगर शिबू सोरेन नहीं उतरते हैं, तो यही माना जाएगा कि झारखंड आंदोलन का एक दिग्गज नेता चुनावी अखाड़ें में नहीं दिखेगा.
बाबूलाल मरांडी- मौजूदा झारखंड भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी इस बार लोकसभा चुनाव लड़ते नजर नहीं आयेंगे.क्योंकि, 14 में से 11 सीट पर भाजपा ने अपने प्रत्याशी का एलान कर दिया है. संभावना कम है कि बाबूलाल लोकसभा के दंगल में चुनाव लड़े. पिछली बार जेवीएम उम्मीदवार के तौर पर बाबूलाल कोडरमा में उतरे थे. जहां बीजेपी की अन्नपूर्णा देवी से उनको हार का सामना करना पड़ा था.
सुदर्शन भगत- लोहरदगा की सीट पर सुदर्शन भगत 2009 से ही सांसद बनकर चुनाव जीतते रहें हैं. लेकिन, इस बार उनका पत्ता कट गया. उनकी जगह राज्यसभा सांसद समीर उरांव लोहरगा के दंगल में कमल फूल लेकर उतरे हैं. सुदर्शन भगत झारखंड की राजनीति में एक नामचीन चेहरा के तौर पर रहे है, जिनका अच्छा-खासा राजनीतिक तजुर्बा भी है.
हेमलाल मुर्मू - राजमहल की सीट में इस बार जेएमएम की टिकट पर लगातार तीसरी बार विजय हांसदा ही उम्मीदवार होंगे. ऐसी पूरी संभावना जतायी जा रही है. अगर ऐसा होता है, तो फिर कद्दावर नेता हेमलाल मुर्मू चुनाव नहीं लड़ पायेंगे. हेमलाल मुर्मू ने 2014 और 2019 में भाजपा की टिकट पर राजमहल सीट से ही झामुमो के विजय हांसदा को टक्कर दी थी. लेकिन, जीत नहीं सके थे. 9 साल बाद एकबार फिर अपने पुराने घर झामुमो में उनकी वापसी हुई .
जयंत सिन्हा- झारखंड की हजारीबाग सीट यशवंत सिन्हा और उनके बेटे जयंत सिन्हा के चलते काफी फेमस रही है. भाजपा की टिकट पर पिता-पुत्र करीब दो दशक से ज्यादा वक्त तक यहां का प्रतिनिधित्व करते रहें. लगातार दो बार से हजारीबाग के सांसद रहे जयंत सिन्हा को बीजेपी ने इस बार टिकट नहीं दिया. उनकी जगह मनीष जयसवाल भाजपा की तरफ से चुनावी समर में होंगे. टिकट के ऐलान होने से पहले जयंत सिन्हा ने चुनावी राजनीति से दूरी का एलान कर दिया था. ऐसे में जयंत सिन्हा जैसे एक उभरते और कद्दावर नेता चुनाव लड़ते हुए नहीं दिखेंगे.
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