रांची(RANCHI): 2023 की विदाई की बेला बस अब चंद कदम दूरी पर खड़ी होकर हमारा इंतजार रही है, हम आशा भरी निगाहों से 2024 की ओर देख रहे हैं, एक दूसरे को इस बात का विश्वास दिलाने की कोशिश कर रहे हैं कि 2023 की चुनौतियों को उबर हम 2024 में एक नये वर्ष की शुरुआत करेंगे. लेकिन इस विदाई की बेला में यह आकलन करना बेहद जरुरी है कि 2023 हमारे लिए कैसा रहा. उसकी चुनौतियां क्या रही है और उसकी सीख क्या रहा है. आइये हम 2023 की इस विदाई के पहले झारखंड में अपराध के उन आंकडों को समझने की कोशिश करें जिसका सामना हमें पूरे वर्ष करना पड़ा. झारखंड के विभिन्न इलाकों में वर्ष 2023 में कितनी वारदात हुई. इस आंकड़ों को देखकर आप चौंक जायेंगे. हालांकि सुखद यह रहा की उग्रवाद और नक्सलवाद पर पुलिस ने हद तक काबू पाया है.
ऐसा तो नहीं था झारखंड
आपको कतई विश्वास नहीं होगा कि शांति का टापू इस झारखंड को ऐसा क्या हो गया कि हमें अपराध में बेतहाशा इजाफा देखने को मजबूर होना पड़ा. क्या किसी की नजर अपने शांत झारखंड को लग गई है. यह आकडे अपने आप में सोचने को मजबूर कर देगा की राज्य में जब इतनी वारदात हुई है तो फिर कैसे लोग खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे.आप बलात्कार के आकडे जान कर डर जाएंगे और आपको भी अपने बच्ची को लेकर एक डर मन में बैठ जाएगा. इसके अलावा हत्या,अपहरण और लूट के साथ दंगा के आकड़ों को देख कर सोचने लगेंगे की झारखंड ऐसा तो नहीं था.
सबसे अधिक मामले चोरी के दर्ज हुए
झारखंड पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में सबसे अधिक चोरी के मामले दर्ज होते है, इसके बाद दंगा और फिर बलत्कार के बाद हत्या और अपहरण के मामले के सामने आते है.इससे साफ है कि झारखंड में घर,बेटी और समाज कोई भी सुरक्षित नहीं है. आकडे तो यही बता रहे है. यह आकडे खुद पुलिस विभाग के वेबसाईट पर उपलबद्ध है.इसे जान कर खुद को हर एक व्यक्ति असुरक्षित महसूस कर रहा है. खास कर ग्रामीण इलाकों में छोटी से छोटी बात पर लोग दो भाग में बट कर अशान्ति फैला देते है बाद में जरूर पुलिस पहुँच कर मामले में जांच शुरू करती है लेकिन शुरुआत में कई बार बात काफी आगे बढ़ जाती है. इसमें कई जान भी चली जाती है,खास कर जमीन और अन्य मामलों में हत्या जैसी वारदात को बेधड़क अंजाम दिया जाता है.
किसके भरोसे लोग खुद को सुरक्षित महसूस करें?
साल 2023 में हत्या के 1461,लूट 450,चोरी 8706,दंगा 1658,अपहरण 1376,रे प 1467,उग्रवाद के 263 मामले दर्ज किए गए है. साल खत्म होने को है यह आकड़ा 2023 के अक्टूबर माह तक है. यह आकडे जो थाना में दर्ज हुए है सैकड़ों ऐसे भी चोरी, रेप और अन्य के मामले होते है जिसे ग्राम स्तर या फिर थाना में बिना दर्ज किए ही रफा दफा कर दिया जाता है.जो मामले दर्ज हुए है. उसे देखने पर ही डर सा हर झारखंडी को लगता है. लोग सोचने को मजबूर है कि आखिर झारखंड पुलिस क्या कर रही है. किसके भरोसे राज्य के लोगों की सुरक्षा होगी.
हर दिन पाँच बलात्कार
अगर यह आकड़ा हर दिन में बाट कर देखें तो अपने आप में राज्य में सुरक्षा कैसी है यह साफ जाहीर हो जाएगा. बेटियों की सुरक्षा को लेकर बड़े बड़े दावे किए जाते है लेकिन जब बात सुरक्षा की आती है तो हर तरफ चीख और पुकार ही सुनाई देती है. झारखंड में हर दिन करीब पांच रेप के मामले दर्ज होते है. फिर याद डालते है कि यह आकड़ा पुलिस के पास दर्ज केस का है,जबकि मामले इससे दोगुना से भी अधिक है. हर दिन बलात्कार जैसे मामले में सुनने को मिलते है.
हर पाँच घंटे में एक हत्या और दिन में पाँच अपहरण
इसके अलावा जब बात हत्या की करें तो इसमें भी झारखंड खूब आगे है हर दिन पाँच हत्या यानि हर पाँच घंटे पर एक हत्या कर दी जाती है.पाँच घंटे में एक हत्या अपने आप में बड़ा आकड़ा है. लेकिन यह सच्चाई झारखंड की है जो खुद पुलिस विभाग ने जारी है. इसके अलावा अपहरण के हर दिन चार मामले सामने आते है यह भी पुलिस रिकार्ड में है कई अपहरण के मामले में फिरौती दे कर मामले में रफा दफा कर दिया जाता है. इसके साथ ही लूट के हर दिन दो और नक्सल के एक मामले दर्ज हुए है.
चोरों का आतंक
इससे हट कर चोरी की बात करें तो हर घंटे दो चोरी की घटना थाना में दर्ज होती है,इसमें बाइक कार, और अन्य चोरी से जुड़े मामले होते है.अगर कोई अपनी बाइक भी बाहर खड़ा करता है तो उसे डर रहता है कि कही कोई चोर बाइक को उड़ा ना ले.सबसे ज्यादा बाइक चोरी और घर दुकान से समान चोरी की वारदात को बड़े ही आराम से अंजाम देते है. इस मामले में भी चोरी की रिपोर्ट सिर्फ नाम के लिए दर्ज किया जाता है. होना जाना कुछ नही है.
साल में दर्ज हुए 1658 दंगे के मामले
सिर्फ चोरी हत्या लूट और रेप में ही झारखंड सुर्खियों में नहीं है बल्कि राज्य में दंगे के मामले भी सबसे अधिक है. एक साल में 1658 मामले दर्ज हुए है. यह केस सिर्फ दो समुदाय के बीच का नहीं है बल्कि दो गुट और अन्य ऐसी झड़प जिससे शांति भंग हो जाए वैसे मामलों में दंगा भड़काने या दंगा का ही मामला बनता है.इसके अलावा नक्सल वारदात पर थोड़ी नजर डाले तो हर दिन एक ना एक छोटी बड़ी नक्सल वारदात देखने को मिलती है. हालांकि झारखंड में उग्रवाद पर काफी हद तक सुरक्षा बलों ने रोक लगाया है.
461 लोगों पर एक पुलिस कर्मी
आखिर इतना अशांत कैसे हो गया अपना झारखंड तो इसका जवाब भी है जब 461 लोगों पर एक पुलिस कर्मी रहेंगे तो हाल ऐसा ही रहेगा. यह स्तिथि इस लिए बनी है क्योंकि राज्य में लंबे समय से पुलिस विभाग में बहाली नहीं हुई है. यह रिपोर्ट ब्योरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवपमेंट की है, इस रिपोर्ट में बताया गया है कि लोगों की सुरक्षा कैसे हो रही है,जब पुलिस विभाग ही अधिकारी और जवान से जूझ रहा है तो फिर सुरक्षा की उम्मीद किससे कर सकते है. शायद यही कारण है कि राज्य में हर दिन रेप,लूट और हत्या जैसे वारदात को अपराधी बेधकड़ अंजाम देते है. उन्हे मालूम है कि पुलिस तो कम है हर जगह मौजूद थोड़े ना रह सकती है. सबसे अधिक मामले ग्रामीण इलाकों में दर्ज होते है.
यह आकडे तो राज्य भर के है आपने पढ़ा और देखा की कैसे हत्या लूट बलात्कार के वजह से झारखंड सुर्खियों में बना है. फिलहाल उम्मीद है कि झारखंड में नए वर्ष में विधि व्यवस्था शायद सुधर जाए और अपना झारखंड खुशहाल रहे. बस यही कामना भगवान से करते है कि झारखंड में हर एक की सुरक्षा करें क्योंकि पुलिस तो विधि व्यवस्था में इस रिपोर्ट को देखने से सुस्त साबित होती है.
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