पटना(PATNA)- पिछले ग्यारह महीनों से बिहार के गांव-गांव, गली-गली घूम-घूम कर लालू-नीतीश के खिलाफ जमीन तैयार करते रहे प्रशांत किशोर के एक बयान के भाजपा को मिर्ची लगनी तय है. प्रशांत का यह बयान ही कुछ ऐसा है कि इसके बाद नीतीश कुमार के लेकर लालू की बाँछें खिल जायेगी.
ध्यान रहे कि यह वही प्रशांत कुमार है, जो तेजस्वी यादव को आठवीं फेल बता चुके हैं. और यह दावा करते रहते हैं कि नीतीश कुमार के शासन में बिहार में कुछ नहीं बदला, ना तो बिहार की बदहाली दूर हुई और ना ही रोजगार के अवसर बढ़े. आज भी बिहार के युवाओं को रोजगार की तलाश में दिल्ली, तमिलनाडू और देश के दूसरे अलग अलग हिस्सों में जाना पड़ता है और बिहार की इस बदहाली का कोई दोषी है तो वह और कोई नहीं नीतीश-लालू की जोड़ी है, लालू नीतीश की इस जोड़ी ने बिहार को जातीय राजनीति में झोंक दिया और पूरी राजनीति जाति केन्द्रित होकर रह गयी. जिसके कारण बिहार का सर्वनाश हो गया.
इस बीच प्रशांत किशोर भाजपा के जंगलराज-2 के दावे के साथ भी सूर मिलाते देखे गयें, दावा किया गया कि लालू के साथ समझौता कर नीतीश कुमार ने बिहार को सर्वनाश के कगार पर खड़ा कर दिया है, लालू नीतीश समझौते के बाद बिहार में किसी की जान-माल की कोई सुरक्षा नहीं है, हर दिन दिन-दहाड़े हत्या और बलात्कार की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है.
क्यों बदले प्रशांत के सूर
लेकिन ऐसा अचानक क्या हुआ कि उसी प्रशांत किशोर के सूर बदल गयें और प्रशांत इस बात का दावा करने लगे कि पिछले ग्यारह माह से बिहार की गलियों की खाक छान रहा हूं, मेरे साथ कोई सुरक्षा गार्ड नहीं है, कोई लाव लस्कर नहीं है, जहां पाता हूं सो जाता हूं, हर दिन हजारों लोगों से मिलता हूं, शहर से लेकर गांव और गांव से लेकर पहाड़ और जंगलों की खाक छानता रहता हूं, लेकिन कभी कोई सुरक्षा का सवाल खड़ा नहीं हुआ, कभी कोई अप्रिय वारदात नहीं हुई, लोगों का प्यार मिला, आशीर्वाद मिला.
बिहार के सामंती सोच पर हमला
हालांकि इसी बयान के दौरान बिहार और बिहारी समाज की सामंती सोच पर तंज कसते हुए प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि भाई, यह बिहार है, यहां जिस व्यक्ति के घर में चूल्हा नहीं जलता, वह भी दो गनर लेकर अपने साथ घूमता है. इस हालत में यदि कोई अधिकारी भरी बारिश के बीच बुजूर्ग लालू को छाता लगाये तो यह अपराध कहां है. लालू यादव को बड़े नेता रहे हैं, इतना हक तो उन्हे बनता ही हैं.
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