पटना(PATNA) 31 अगस्त से 1 सितम्बर तक मुम्बई में होने वाली इंडिया गठबंधन की बैठक के पहले राजधानी में पटना में तरह-तरह की चर्चाओं और अफवाहों का बाजार गर्म है, हर राजनीतिक दल और विश्लेषक के अपने-अपने दावे हैं, इंडिया गठबंधन को लेकर सफलता और असफलता के अपने-अपने तर्क हैं, जहां भाजपा को इंडिया गठबंधन का कोई भविष्य नहीं दिखता, वहीं चिराग पासवान चाचा नीतीश को विपक्ष को एकजुट करने से पहले बिहार में कानून व्यवस्था में सुधार लाने की नसीहत दे रहे हैं.
भारतीय जनता के पार्टी के नाम पर चिराग को कोई आपत्ति नहीं
चिराग का मानना है कि राज्य में कानून व्यवस्था का सवाल एक बड़ा मुद्दा बन चुका है, लेकिन इससे बेफिक्र चाचा नीतीश इंडिया संयोजन बनने की तैयारी में जुटे हैं. इस इंडिया से कुछ होने वाला नहीं है, सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए देश के नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि चिराग पासवान के द्वारा भारतीय जनता पार्टी के नाम पर किसी प्रकार की कोई आपत्ति प्रकट नहीं की गयी.
मुकेश सहनी भी बन सकते हैं इंडिया गठबंधन का हिस्सा
जबकि तेजस्वी यादव इस बात का दावा कर रहे हैं कि मुम्बई बैठक में इंडिया गठबंधन में कई और दलों की भागीदारी बढ़ेगी और यह आंकड़ा तीस के पार जा सकता है. खुद नीतीश भी कुछ ऐसा ही संकेत दे चुके हैं. माना जाता कि बिहार से मुकेश सहनी भी इसका हिस्सा बन सकते हैं.
लालू का खेला, नीतीश का भरोसा
लेकिन इन सभी दावों के बीच लोगों की नजर इंडिया गठबंधन के संयोजक पद पर लगी हुई है. हालांकि इस मामले में तेजस्वी कुछ भी साफ करने को तैयार नहीं है, उनका एक ही आलाप है कि सारे मुद्दों का समाधान कर लिया जायेगा और जो कुछ भी होगा, सबकी सहमति से होगा, किसी भी मुद्दे पर कोई विवाद नहीं है. सब कुछ अपनी रफ्तार से चल रहा है. लेकिन मामला तब बिगड़ता नजर आने लगता है, जब राजद सुप्रीमो यह एलान कर जाते हैं कि संयोजक पद की जिम्मेवारी सीएम नीतीश के बजाय किसी और के कंधों पर डाली जा सकती है और जरुरी नहीं है कि इंडिया गठबंधन का एक ही संयोजक हो, इसके कई संयोजक बनाये जा सकते हैं. लालू का यह संकेत संयोजक पद से नीतीश कुमार की विदाई मानी जाने लगती है.
पूरे देश में नीतीश कुमार को पीएम बनाने की मांग तेज
लेकिन यह विवाद और भी रोचक मोड़ तब ले लेता है, जब मुम्बई बैठक के ठीक पहले अशोक गहलोत और दूसरे कांग्रेसी नेताओं के द्वारा राहुल गांधी को पीएम फेस बनाने की मांग तेज हो जाती है. अभी यह खबर सामने आयी ही थी, बिहार से दूसरी मोर्चेबंदी की शुरुआत हो जाती है. बिहार सरकार में मंत्री और नीतीश कुमार के बेहद खास मान जाने वाले श्रवण कुमार यह कह कर दावा ठोंक देते हैं यूपी, बिहार, हिमाचल सहित पूरे देश से सीएम नीतीश को प्रधानमंत्री बनाने की मांग तेज हो रही है.
मुम्बई बैठक के ठीक पहले इस तरह के बयान महज इतिफाक नहीं
साफ है कि मुम्बई बैठक के ठीक पहले इस तरह के बयान महज इतिफाक नहीं है. यह दूरगामी राजनीति का हिस्सा और उसका अहम संकेत है. लेकिन लालू, तेजस्वी और चिराग के इस दावे के बीच अचानक से अपने उसी बेफिक्र अंदाज में सामने नीतीश कुमार आते हैं और बड़े इतमीनान के साथ मंद-मंद मुस्काते हुए कहते है कि वह तो किसी पद की दौड़ में हैं ही नहीं, उनका इरादा तो मात्र इंडिया गठबंधन को मजबूती प्रदान करने का है, हर कोई हमारे बारे में कुछ ना कुछ बोलता ही रहता है, लेकिन हम इस सब को गंभीरता से थोड़े ही लेते हैं. आप लोग भी इस सब फालतू की बात छोड़िये, और 2014 में जो आयें है, उन्हे विदा करने की तैयारी कीजिये. साफ है कि लालू नीतीश अपनी-अपनी गुगली में लोगों को फंसाये रखना चाहते हैं, जबकि अन्दरखाने इंडिया गठबंधन का पूरा खांचा तैयार कर लिया है. और इसके अहम किरदारों में एक नीतीश कुमार भी है.
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