रांची(RANCHI)- नियोजन, स्थानीय नीति और रोजगार की मांग के सवाल पर विधान सभा का घेराव करने पहुंचे छात्रों की भीड़ को पुलिस ने बल प्रयोग कर तितर बितर कर दिया, इसके साथ ही छात्र नेता जयराम महतो को गिरफ्तार भी कर लिया गया है.
जयराम महतो ने पुलिस पर लगाया बदतमीजी का आरोप
अपनी गिरफ्तारी को सरकार की बर्बरता बताते हुए जयराम महतो ने कहा कि छात्रों का यह प्रर्दशन पूर्व नियोजित था, प्रशासन को भी इसकी सूचना दी गयी थी, प्रशासन के द्वारा ही हमें बताया गया था कि अमूक स्थान तक आप अपना प्रर्दशन कर सकते हैं, लेकिन अचानक से पुलिस ने अपना पैतरा बदला, हमें गिरफ्तार कर लिया, इस क्रम में हमारे साथ बदतमीजी भी की गई, हमारे फट्टे कपड़े इसके सबूत है.
छात्रों के प्रर्दशन से हिल गयी है सरकार
जयराम महतो ने कहा कि हम अभी कुछ भी ज्यादा बोलने की स्थिति में नहीं है, लेकिन यह साफ है कि छात्रों के इस प्रर्दशन से सरकार बूरी तरह हिल गयी है, आगे की क्या रणनीति होगी, यह तो तब बतायेंगे, जब प्रशासन के द्वारा हमें मुक्त किया जाता है, फिलहाल तो हमें हिरासत में ले लिया गया है.
हम यहां बता दें कि नियोजन और स्थानीय नीति को लेकर जारी उहापोह और भ्रम के बीच छात्रों ने आज विधान सभा के बाहर घेराव की घोषणा की थी.
छात्रों की ओर से प्रशासन को इसकी पूर्व सूचना भी दी गयी थी, इस सूचना के आधार पर प्रशासनिक महकमा अपनी तैयारियों में जुटा था, चारों तरह बैरिकेटिंग की गयी थी, कई स्थानों पर ट्रेन्च खोद कर पूरे विधान सभा को एक किले तब्दील किया गया था.
प्रशासन की सारी तैयारियां धरी रह गयी
लेकिन जब छात्रों ने विधान सभा की ओर कूच किया तो प्रशासन की सारी तैयारियां धरी की धरी रह गयी. आक्रोशित छात्रों ने प्रशासन की सारी किलेबंदी को एक बारगी ध्वस्त कर दिया. सारी व्यूह रचना बिखर गयी, अन्ततोगत्वा पुलिस को आक्रोशित छात्रों पर लाठीचार्ज करना पड़ा. आसूं गैस के गोले भी छोड़ने की नौबत आ पड़ी.
टूट रहा है छात्रों का धैर्य
दरअसल छात्रों महज रोजगार की मांग कर रहे हैं, उनका आरोप है कि पांच लाख नौकरियों के वादे के साथ सत्ता में आयी हेमंत सरकार हर दिन अपना समय पार कर रही है, सत्ता के तीन वर्ष गुजर गये, लेकिन सरकार अभी भी नियोजन नीति और स्थानीय नीति पर ही अटकी हुई है, जबकि उनका दावा तो पांच लाख नौकरियों प्रतिवर्ष देने का था. छात्रों का गुस्सा इस खबर से ही भी है कि सरकार के द्वारा जिस नियोजन नीति को लाने की तैयारी की जा रही है, उसमें 60:40 का फार्मूला है, यानी कूल नौकरियों में से 60 फीसदी नौकरी स्थानीय निवासियों, जबकि 40 फीसदी नौकरियां खुला रखी जायेगी, यानी इन 40 फीसदी नौकरियों को लिए कोई भी आवदेन कर सकता है, छात्र इस नीति को बदलने की मांग कर रहे हैं.
लाठी हांक कर भागने के लिए मजबूर करना तो बेहद आसान है
रोजगार की मांग करते इन छात्रों को लाठी हांक कर भागने के लिए मजबूर करना तो बेहद आसान है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि छात्रों में व्याप्त इस गुस्सा को शांत कैसे किया जायेगा. याद रहे कि ये वही छात्र हैं, जिनके द्वारा कभी “हेमंत हैं तो हिम्मत है” का नारा लगाया जाता था, आज जब इन छात्रों को यह महसूस हुआ है कि रोजगार के मोर्चे पर यह सरकार असरदार नहीं है तो वे विरोध पर उतारु हैं, उनका आक्रोश सड़कों पर उमड़ रहा है, सवाल इन पर लाठी भाजंने का नहीं इनकी समस्यायों को दूर करने का है, शायद सरकार संवेदनशील तरीके से इन छात्रों की मांग को सुने और उनकी समस्याओं और चिंताओं समझने की कोशिश करे
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