रांची(RANCHI)- सारे मोदी चोर हैं का सवाल कर भारतीय लोकतंत्र को बचाने की मुहिम पर निकले राहुल गांधी को सूरत की एक निचली अदालत से बड़ा झटका लगा है, सारे मोदी चोर हैं कि शब्दावली को कोर्ट ने मोदी सरनेम वालों की अवमानना करार देते हुए राहुल गांधी को दो वर्ष की सजा सुनायी है.
इस फैसले के साथ ही राहुल गांधी को इस फैसले के खिलाफ अपील दायर करने लिए एक माह का समय दिया गया है, इस दौरान राहुल गांधी इस फैसले को बड़ी अदालत में चुनौती दे सकते हैं, यदि उपरी अदालत के द्वारा भी निचली अदालत के फैसले को यथावत रखा जाता तो उन्हे अपनी सदस्यता गंवानी पड़ेगी.
राहुल गांधी के विरुद्ध इस फैसले से विपक्ष की लामबंदी हुई तेज
राहुल गांधी के विरुद्ध इस फैसले के खिलाफ पूरा विपक्ष लामबंद होता दिख रहा है, सिर्फ कांग्रेस नहीं है, बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में राहुल गांधी को अपने धूर विरोधियों का भी समर्थन मिलता दिख रहा है, इसकी पहली शुरुआत हुई है आप की ओर से.
सत्ता से सवाल पूछना विपक्ष का दायित्व
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने इस फैसले के बाद लिखा है कि हम न्यायपालिका के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन भाजपा को कोशिश विपक्ष का खत्म करने की है, इसकी साजिश रची जा रही है, कांग्रेस से हमारे कई मतभेद हैं, मगर राहुल गांधी को इस तरह मानहानि के मामले में फंसाना लोकतंत्र की सेहत के लिए ठीक नहीं है. जनता और विपक्ष का काम ही है सवाल पूछना, राहुल गांधी ने विपक्ष के इसी दायित्व का निर्वाह किया था. यह कोई गुनाह नहीं था.
फैसला लोकतंत्र और देश की राजनीति के लिए चिंता का विषय
जबकि सीएम हेमंत ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि न्यायिक व्यवस्था का सम्मान है, लेकिन हम इस फैसले से सहमत नहीं है, पूरे देश में गैर भाजपाई दलों को शिकार बनाया जा रहा है. यह लोकतंत्र और राजनीति के लिए चिंता का विषय है. लेकिन इसके साथ ही यह भी बताना चाहता हूं कि जनतंत्र के आगे धनतंत्र की कोई बिसात नहीं. राहुल गांधी इस फैसले से टूटने वाले नहीं है.
झारखंड विधान सभा के अन्दर भी हंगामा, कांग्रेसी विधायकों ने किया सदन का बहिष्कार
इस फैसले के खिलाफ सिर्फ देश की राजनीति में ही बवाल की स्थिति नहीं है, बल्कि झारखंड में भी इस फैसले बाद विपक्षी दलों में भारी आक्रोश है.
आज इसकी बानगी झारखंड विधान सभा के अन्दर भी देखने को मिली. यहां भी सत्ता पक्ष के द्वारा इस फैसले के खिलाफ हंगामा देखने को मिला. इस फैसले को भारतीय लोकतंत्र पर कुठाराधात बतलाया गया.
हम अपनी आंखों के सामने लोकतंत्र को खत्म होते नहीं देख सकते
इस फैसले के खिलाफ अपनी प्रतिक्रिया देते हुए दीपिका सिंह पांडेय ने कहा कि हम अपनी आंखों के सामने लोकतंत्र को खत्म होते हुए नहीं देख सकते हैं. लोकतंत्र की हिफाजत के लिए हमें बिना देरी किये सड़कों पर उतराना होगा.
क्या नीरज मोदी, ललित मोदी चोर नहीं है
फैसले पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि क्या नीरज मोदी, ललित मोदी चोर नहीं है, इन लोगों ने एक-एक कर देश के खजाने को लूटा और विदेश भाग गयें. क्या यह झूठ है. क्या यह सत्य नहीं है कि ये सारे लोग आज भगोड़े हैं. राहुल गांधी हमेशा सत्य के साथ खड़े हैं, और आगे भी लोकतंत्र ही हिफाजत के लिए वह अपनी कुर्बानी देंगे. भाजपा की कोशिश हर संवैधानिक संस्था को बर्बाद करने की है. इसकी व्यापक साजिश रची जा रही है, यह भी उसी का हिस्सा है.
राहुल की लोकप्रियता से भाजपा के अन्दर बेचैनी
जबकि विधायक इरफान अंसारी ने कहा कि राहुल गांधी की लोकप्रियता से सरकार के अन्दर बेचैनी है, वह किसी भी कीमत पर राहुल गांधी को अन्दर करना चाहती है, ताकी भाजपा को राहुल गांधी का सामना नहीं करना पड़े.
इस फैसले को हम बर्दास्त नहीं करेंगे
उन्होंने कहा है कि हम इस लड़ाई को अंजाम तक ले जायेंगे, आज हमने इस मुद्दे पर सदन का बहिष्कार किया है. आगे विरोध की दूसरी रणनीति लेकर सामने आयेंगे. यह फैसला गुजरात से आया है, इसका इशारा क्या है? कांग्रेस ने 75 वर्षों तक देश पर राज्य किया, लेकिन कभी भी विपक्ष की आवाज को इस कदर दबाने का काम नहीं किया. हमारी लड़ाई अब सदन से सड़क तक जायेगी, इस फैसले को हम बर्दास्त नहीं करेंगे.
मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित
जबकि इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए खुद राहुल गांधी ने लिखा कि मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है. सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन.
साफ है कि राहुल गांधी ने इस फैसले के बहाने अपना संदेश दे दिया है, उनकी कोशिश इस फैसले को लेकर जनता की अदालत में जाने की है, कथित रुप से लोकतंत्र की इस लड़ाई में जनता का समर्थन प्राप्त करने की है, आखिरकार इस देश की सबसे बड़ी अदालत इस देश की महान जनता है, अब देखना होगा कि जनता की अदालत में इसका क्या फैसला होता है?
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