रांची(RANCHI):ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल सुर्खियों में हैं. 15 हजार का तनख्वाह उठाने वाले संजीव लाल के नौकर के आवास से ईडी ने 35 करोड़ की विशाल राशि जब्त की है. नोटों का पहाड़ सामने आते ही संजीव लाल के बारे में एक बढ़कर एक कारनामें सामने आ रहे हैं. लेकिन सबसे चौंकाने वाली खबर यह है कि संजीव लाल भी उसी JPSC-2 घोटाले का प्रोडक्ट हैं. जिसकी जांच सियासतदानों ने अनकहा विराम लगा दिया, सरकार आती-जाती रही, हुक्मरान बदलते रहें, लेकिन JPSC-2 घोटाले से निकले अधिकारी अपनी जगह बने रहें. किसी भी सरकार में उनका बाल बांका नहीं हुआ.
एसआईटी से शुरु होकर जांच सीबीआई तक पहुंचा
यहां ध्यान रहे कि जेपीएससी-2 घोटाले की जांच का जिम्मा पहले एसआईटी को सौंपा गया था, जिसके बाद यह सीबाआई के पास पहुंची, सीबीआई ने जांच भी पूरी कर ली, लेकिन अब तक चार्जशीट दाखिल नहीं किया. उधर चार्जशीट पर ताला लगा रहा, इधर उस घोटाले से निकले अधिकारी झारखंड को दीमक की तरह चाटते रहें. संजीव लाल भी उसी पेड़ की एक फुनगी है. इस मामले में सीबीआई की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़ा करते हुए चर्चित अधिवक्ता राजीव कुमार ने पूछा है कि आखिर इस महाघोटाला का पर्दाभाश कब होगा. भ्रष्ट तरीके से सेवा में आये इन अधिकारियों पर कार्रवाई कब होगी. झारखंड को इन भ्रष्ट अधिकारियों से मुक्ति कब मिलेगी. 12 साल के बाद इंतजार के बावजूद सीबीआई चार्जशीट दाखिल क्यों नहीं किया.
हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई को सौंपा गया था जांच का जिम्मा
बता दें कि 2012 में हाई कोर्ट के आदेश के बाद JPSC के 16 से 18 एग्जाम को सीबीआई को सौंपा गया था, इसी में JPSC 1 और JPSC-2 का मामला भी है. झारखंड के 139 अधिकारियों की जांच होनी है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सभी अधिकारियों की सेवा समाप्त करने का आदेश दिया था. दावा किया जाता है, जिस विषय में कुल प्राप्तांक ही 20 अंक था, लेकिन परीक्षार्थियों को 25 अंक तक दिया गया. कईयों का तो पूरा पन्ना खाली था. यह सारी जानकारियां विजलेंस जांच में सामने आयी है. बावजूद इसके चार्जशीट जमा नहीं करना कई गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है. राजीव कुमार का दावा है कि JPSC 2 में कई सियासतदानों के करीबियों ने भी परीक्षा पास किया. चार्जशीट दाखिल नहीं करने के पीछे यह भी एक बड़ी वजह हो सकती है. भ्रष्टाचार का राग अलापने वाली भाजपा के नेताओं की भी इसमें सहभागिता है. राजीव कुमार का दावा है कि यदि इन सियासी मठाधीशों का रिश्ता विपक्षी दलों से होता, जेएमएम के नेताओं पर तलवार लटकती होती, तो चार्जशीट तो क्या, अब तक गिरफ्तारी भी हो जाती. राजीव कुमार बताते हैं इस मसले को ईडी के समक्ष भी उठाया गया था, लेकिन ईडी की ओर से भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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