TNP DESK- जिस महिला आरक्षण का कार्ड खेल कर भाजपा विपक्षी दलों को निपटाने चली थी, अब वही अब भाजपा की गली हड्डे की बनती नजर आने लगी है. और इस की पहली मार उसे मध्य प्रदेश की चुनावी अखाड़े में देखने को मिल रहा है. मध्यप्रदेश की पूर्व सीएम और रामजन्म भूमि आंदोलन की फायर ब्रांड नेता उमा भारती ने महिला आरक्षण को पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों की हकमारी बताते हुए विरोध करने का एलान किया है.
अपने तल्ख तेवरों के लिए जाने जानी वाली उमा भारती ने 23 सितम्बर को ओबीसी नेताओं के साथ बैठक कर इस मामले में आगे की रणनीति बनाने का एलान किया है. उमा ने कहा है कि पिछले 27 सालों से पिछड़ी और अतिपिछड़ी जातियों के विरोध के कारण इस बिल को पारित नहीं किया जा रहा था, लेकिन इस बार मोदी सरकार ने देश की 60 फीसदी आबादी को दरकिनार कर इस बिल को पास कर दिया, देश की विशाल ओबीसी आबादी कभी भी इसे स्वीकार नहीं करेगी, और हम यह हकमारी होने नहीं देंगे.
उमा भारती ने भाजपा को चेतावनी देते हुए कहा कि जल्द से जल्द इस बिल में संशोधन कर अति पिछड़ी और पिछड़ी जातियों की महिलाओं के लिए कोटा के अन्दर कोटा बनाया जाय, नहीं तो भाजपा इसका नुकसान उठाने के लिए भी तैयार रहे.
उमा भारती मध्यप्रदेश पिछड़ा राजनीति का बड़ा चेहरा
ध्यान रहे कि उमा भारती मध्यप्रदेश में पिछड़ों का बड़ा चेहरा हैं, इनके साथ दूसरी पिछड़ी जातियों के साथ ही लोध जाति भी खड़ी रहती है. अब जिस आक्रमक अंदाज में उमा ने बगावत का एलान किया है, साफ है कि भाजपा को विधान सभा चुनाव में उसका नुकसान उठाना पड़ सकता है. खास कर उस स्थिति में जब पहले से ही भाजपा का मध्यप्रेदश में स्थिति पतली बतायी जा रही हो. उमा की नाराजगी इस संकट को और भी गहरा बना सकता है.
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