रांची(RANCHI)- राजधानी रांची के सीवरेज- ड्रेनेज सिस्टम को दुरस्त करने के लिए सिंगापुर की कंपनी मैनहर्ट को 21 करोड़ रुपये का भुगतान पूर्व सीएम रघुवर दास को मंहगा पड़ता दिखने लगा है. 2005 से जिस घोटले की लगातार चर्चा हो रही थी, माना जा रहा है कि उसकी सच्चाई जल्द ही सामने आ सकती है, उसकी परतों का खोला जा सकता है. हालांकि इस घोटाले की परत खुलते ही राजनीतिक बबंडर की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता.
क्या था मैनहर्ट घोटाला
यहां बता दें कि वर्ष 2003 में झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार को राजधानी रांची के लिए सीवरेज ड्रेनेज की प्रणाली को विकसित करने की रुप रेखा तैयार करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद वर्ष 2005 में अर्जून मुंडा की सरकार में तात्कालीन नगर विकास मंत्री रघुवर दास की ओर से सिंगापुर की कंपनी मैनहर्ट को इसका जिम्मा सौंपा गया.
सिंगापुर की कंपनी को ड्रेनेज सिस्टम विकसित करने की जिम्मेवारी सौंपने के साथ ही इस पर विवाद शुरु हो गया. पूर्व मंत्री सरयू राय के द्वारा यह दावा किया जाने लगा कि सीवरेज सिस्टम का विकास तो नहीं हुआ, लेकिन कंपनी को 21 करोड़ रुपये का भुगतान जरुर कर दिया गया. घोटाले के दावे सामने आने के बाद सरकार ने पांच वरीय इंजीनियरों के नेतृत्व में घोटाले की जांच के लिए एक कमिटि का निर्माण कर दिया. अपने 17 पेज की जांच रिपोर्ट में कमिटि ने एजेंसी और इसको नियुक्त करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा कर दी. लेकिन अनुशंसा की यह फाइल दब गयी, कोई जांच नहीं हुई, बाद में थक हार कर सरयू राय ने एसीबी से मिलकर मामले की जांच का आग्रह किया.
मैनहर्ट नियुक्ति घोटाला, लम्हों की खता'
सरयू राय का दावा है कि यह कंपनी सिंगापुर की नहीं, बल्कि सिर्फ टेंडर को लेने के लिए भारत में ही इसका गठन किया गया था और पूरी राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयी, सरयू राय ने अपनी पुस्तक मैनहर्ट नियुक्ति घोटाला, लम्हों की खता' नामक किताब में इस पर विस्तार से चर्चा की है.
2020 में पीई दर्ज करने का हुआ था आदेश
वर्ष 2020 में हेमंत सरकार ने एसीबी को पीई दर्ज करने का आदेश दिया था.जिसके बाद तीन माह पहले एसीबी ने निगरानी और विधि विभाग से रघुवर दास पर लगे आरोपों पर मंतव्य की मांग की थी, अब निगरानी विभाग ने एसीबी से अभियोजन स्वीकृति की फाइल अपने पास मंगा ली गयी है. जिसके बाद यह माना जा रहा है कि जैसे जैसे इसकी जांच आगे बढ़ेगी पूर्व सीएम और तात्कालीन नगर विकास मंत्री रघुवर दास को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
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