टीएनपी डेस्क (TNP DESK)- कथित रुप से सनातन धर्म को डेंगू और मलेरिया से भी खतरनाक बताने वाले द्रविड़ मुनेत्र कड़गम की ओर से दिल्ली में आयोजित ऑल इंडिया फेडरेशन फॉर सोशल जस्टिस के राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित करते हुए सीएम हेमंत ने आदिवासी समाज की पहचान और अस्मिता पर गहराते संकट को लेकर अपनी चिंता प्रकट की है, उनकी चिंता मुख्य विषय जनगणना में आदिवासी समाज के लेकर कॉलम का नहीं होना है, सीएम हेमंत ने कहा कि देश में आज करीबन 12 करोड़ आदिवासी है, लेकिन उनकी अपनी कोई पहचान नहीं है, आज भी इस विशाल जनसंख्या को हिन्दू धर्म के साथ जोड़ कर देखा जा रहा है, जबकि पूरे देश में आदिवासी समाज के द्वारा सरना धर्म कोड की मांग की जा रही है, 12 करोड़ आबादी के लिए एक कॉलम का भी नहीं होना सामाजिक न्याय के तमाम दावों पर सवालिया निशान खड़ा करता है, सामाजिक न्याय के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को कटघरे में खड़ा करता है.
आदिवासी समाज के लिए पहचान और प्रतिनिधित्व एक अहम सवाल
उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के लिए पहचान और प्रतिनिधित्व एक अहम सवाल है, दिशम गुरू की पूरी जवानी इसी पहचान को स्थापित करने के संघर्ष में गुजर गयी, हमारी लड़ाई सिर्फ जल जंगल और जमीन की सुरक्षा को लेकर ही नहीं है, पहचान और प्रतिनिधित्व भी हमारी लड़ाई का अहम हिस्सा है, यही कारण है कि आज आदिवासी समाज की ओर से सरना धर्म कोड की मांग उठ रही है. इसी पहचान के संकट के कारण आज देश में आदिवासी समाज के लिए कोई जगह नहीं है.
उन्होंने इस बात का दावा भी किया कि झारखंड सरकार लगातार शोषित, वंचित, आदिवासी, दलित, पिछड़ों, मजदूरों को सामाजिक न्याय प्रदान करने की दिशा में फैसले ले रही है.वंचित समाज की सामाजिक जरुरतों के हिसाब से कई कानूनों का निर्माण किया जा रहा है और वंचित समाज को केन्द्र में रखकर कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है.
सामाजिक न्याय के बहाने दिल्ली में लगा विपक्षी नेताओं का जमघट
ध्यान रहे कि इस कार्यक्रम का आयोजन ऑल इंडिया फेडरेशन फॉर सोशल जस्टिस के बैनर तले तमिलनाडू के सीएम स्टालिन के द्वारा किया गया, जिसमें बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एम वीरप्पा मोइली, सीताराम येचुरी, डी राजा, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के साथ ही विपक्ष के कई महत्वपूर्ण नेताओं ने संबोधित किया
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