टीएनपी डेस्क (Tnp desk):- लोकसभा चुनाव अब दहलीज पर है, जल्द ही तारीखों का भी एलान हो जाएगा. भाजपा अपनी100 सीट के लिए उम्मीदवारों की पहली लिस्ट भी जारी करने वाली है. जहां तक झारखंड की बात है, तो यहां की 14 लोकसभा सीट पर कौन-कौन से प्रत्याशी कमल खिलाने मैदान में उतरेंगे . इस पर अभी कुछ साफ नहीं है.
माना जा रहा है कि पश्चिमी सिंहभूम सीट पर सिर्फ गीता कोड़ा का ही टिकट पक्का है. कांग्रेस से सांसद गीता कुछ दिन पहले ही भाजपा के पाले में आ गयी थी. ऐसे में शायद ही कोई दूसरा नाम उनकी मौजूदगी में दिखे . बाकी 13 सीट में से 1 सीट आजसू को देने पर विचार किया गया है. बाकी 12 सीट पर अभी कुछ भी तय नहीं हुआ है कि आखिर किसे टिकट मिलेगा . चलिए झारखंड की एक-एक लोकसभा सीट के बारे में जानते है, किसका दांवा मजबूत और कमजोर है.
रांची - रांची लोकसभा सीट में भाजपा ने 2019 में संजय सेट को अपना प्रत्याशी बनाया था. इस बार उनके टिकट मिलने पर संशय जताया जा रहा है. चर्चा तो ये भी की जा रही है कि प्रदीप वर्मा को भी पार्टी मौक दे दे. रांची शहर में उनके पोस्टर-बैनर भी अच्छे-खासे दिखाई पड़ते हैं. हालांकि, अभी यहां कुछ भी साफ नहीं है, इन दोनों की जगह शायद कोई बड़ा उलटफेर करके कोई तीसरा नाम भी आ सकता है. इस पर अभी सभी की निगाहें लगी हुई है.
पश्चिमी सिंहभूम- गीता कोड़ा का कांग्रेस से भाजपा में जुड़ने के बाद , उनकी दावेदारी ही सिर्फ पक्की दिख रही है. बीजेपी के सामने कोल्हान एक बड़ी चुनौती थी, यहां की छह विधानसभा सीट में से पांच में जेएमएम और एक में कांग्रेस के विधायक है. ऐसा में भाजपा का यहां सूपड़ा अभी तक साफ ही है. कोल्हान का किला बीजेपी के लिए एक चुनौती की तरह रहा है. एन वक्त पर गीता कोड़ा अपने खेमें शामिल करवाकर भाजपा ने बड़ी सेंधमारी कर डाली. भगवा पार्टी के लिए यहां मुसीबत और मुश्किल ये भी थी कि उनके कद्दावर और दिवंगत नेता लक्ष्मण गिलुआ के निधन के बाद किसे प्रत्याशी बनाया जाए. इसका समाधान पार्टी ने गीता कोड़ा के तौर पर निकाल लिया है.
गिरिडीह - गिरिडीह लोकसभा सीट पर पिछले चुनाव में गठबंधन के तहत आजसू को मिली थी. ऐसे कयास लगाए जा रहे है कि भाजपा इस सीट को एकबार फिर आजसू को ही देगी. यहां से चंन्द्रप्रकाश चौधरी पिछली बार जीते थे और दिवंगत जगन्नाथ महतो को हराया था. यह सीट भाजपा की परंपरागत सीट रही है. यहां से रविन्द्र कुमार पांडेय सबसे अधिक छह बार सांसद रहें हैं, हालांकि इस बार भी उन्हें आस है कि पार्टी एक मौका मिले. लेकिन, ऐसी संभावनाए बेहद कम नजर आ रही है. गिरिडीह सीट आजसू की ही झोली में जा सकती है.
कोडरमा - कोडरमा सीट से केन्द्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी को एकबार फिर मौका मिल सकता है. भाजपा का यहां अपना जनधार के साथ-साथ गढ़ भी रहा है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रविन्द्र राय और बाबूलाल मरांडी भी यहां से सांसद रह चुके हैं. पिछली बार अन्नपूर्णा देवी राजद छोड़कर भाजपा में शामिल हुई थी और चुनाव में जीत दर्ज की थी. अभी उनके नाम पर किसी तरह की अड़चन सामने नहीं आ रही है. उनका दांवा मजबूत माना जा रहा है. लेकिन , एक खबर ये भी उड़ रही है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल भी यहां मैदान में उतर सकते हैं. पिछली बार जेवीएम के टिकट पर उन्होंनेे चुनाव लड़ा था, तो अन्नपूर्णा से ही करारी मात खा गये थे. खैर आगे क्या होता है, इस पर सभी की नजर बनी हुई है.
धनबाद - धनबाद में पीएन सिंह लगातार तीन बार से भाजपा के सांसद है . पीएन सिंह एक मंझे हुए और तजुर्बेकार नेता है. उनका विकल्प मिलना भी भाजपा के लिए एक चुनौती है. लेकिन, उनके सामने उम्र एक मसला बन जा रहा है. ऐसे में उनकी जगह किसी और को टिकट बीजेपी दे सकती है. इसे लेकर कुछ साफ नहीं दिख रहा है. मान जा रहा है कि भारतीय जानता पर्टी किसी नये चेहरे को यहां से मौका दे सकती है.
चतरा - लोकसभा की सीट चतरा भी भारतीय जनता पार्टी के लिए गढ़ रही है. सुनील सिंह लगातार दो बार से यहा सांसद रहे हैं. लेकिन, उनका टिकट इस बार भी पक्का है. ऐसा नहीं कहां जा सकता . क्योंकि पिछली बार ही कड़ी मश्शकत के बाद उन्हें टिकट दुबारा मिला था. दूसरी बात ये भी है कि उन्हें लेकर नराजागी भी एक खेमे में रही है. ऐसे में उन्हें फिर टिकट मिलेगा यहां संशय है. चतरा में किसे टिकट मिलेगा, इसे लकर कुछ साफ नहीं है.
पलामू- झारखंड के पूर्व डीजीपी बीडी राम लगातार दो बार से भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं. इस बार इस पूर्व पुलिस अधिकारी को टिकट मिलेगा इस पर संदेह जताया जा रहा है. टिकट की राह में उनकी उम्र आगे आ रही है. साथ ही उनका फीडबैक भी सही नहीं होने की चर्चा अंदरखाने से हैं. वही राजद छोड़कर भाजपा में कुछ दिन पहले आए पूर्व सांसद घूरन राम के टिकट मिलने की भी चर्चा जोरों पर है.
जमशेदपुर- मौजूदा सांसद विद्युतवरण महतो भाजपा के टिकट के स्वाभाविक दावेदार है. उनके साथ कुर्मी समुदाय का एक बड़ा वोट बैंक भी जुड़ा हुआ है. उनके टिकट मिलने की संभावना में अर्जुन मुंडा की दावेदारी छीन कर दे रही है. क्योंकि खूंटी सांसद इस बार जमशेदपुर से लड़ना चाहते हैं, अगर ऐसा होता है तो फिर विद्युतवरण महतो अपने पुराने घर जेएमएम जा सकते हैं. लिहाजा, ऐसा कोई भी खतरा भाजपा नहीं लेना चाहेगी. इस पर अभी पेंच फंसा हुआ है, देखना यही है कि आखिर कौन जमशेदपुर के रण में कमल फूल लेकर उतरेगा.
लोहरदगा- सुदर्शन भगत यहां तीन बार से भाजपा के सांसद है. लेकिन, पिछली बार बड़ी मुश्किल से उन्हें जीत नसीब हुई थी. साथ ही उनके नाम पर भी लोहरदाग में ही पार्टी कार्यकर्ताओं में खेमेबाजी और नाराजगी हैं. ऐसे में कोई नये चेहरे पर भाजपा दांव खेल सकती है. अब देखना यही है कि लोहरदगा सीट पर आखिर किसे मौका मिलता है. क्योंकि यहां पार्टी भी किसी मजबूत कैडिंडेट को उतरना चाहती है.
राजमहल - पिछली दो बार की लोकसभा चुनाव में भाजपा को यहां हार मिली . संथाल की दो सीट दुमका और गोड्डा में तो भाजपा ने कमल खिला दिया . लेकिन, राजमहल आज भी एक चुनौती की तरह बना हुआ है. जेएमएम के विजय हांसदा लगातार दो बार हेमलाल मुर्मू को यहां शिकस्त दी है. यहां इस बार दूसरी मुसीबत बीजेपी के लिए ये भी है कि उनके पिछले प्रत्याशी हेमलाल मुर्मू जेएमएम वापस लौट चुके हैं. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी इस जुगत में है कि, जेएमएम के बागी बोरियों विधायक लोबिन हेम्ब्रम को राजमहल से लड़ाया जाए. हालांकि, लोबिन के आजसू में जाने की भी चर्चा जोरो पर है. ऐसे में आखिर कौन भाजपा का उम्मीदवार यहां से होगा इस पर अभी कुछ साफ नहीं है. लोबिन भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ेंगे, इस पर संशय बना हुआ हैं. ऐसे इस सीट पर बीजेपी लगातार सर खपाये हुए है.
दुमका- संथाल की इस सीट पर शुरु से ही भाजपा और जेएमएम के बीच तगड़ी टक्कर रही है. यहां हमेशा भाजपा के लिए चुनौती रहा है. हालांकि, पिछली बार सुनील सोरेन ने शिबू सोरेन को हराकर इस सीट पर भाजपा का परचम लहराया था. ऐसे में माना जा रहा है कि सुनील सोरेन का यहां टिकट पक्का माना जा रहा है . उनकी उम्मीदवारी पर शायद ही आगे किसी को अड़चन हो.
खूंटी - भारतीय जनता पार्टी के लिए खूंटी गढ़ रहा है, यहां करिया मुंडा ने लंबे समय तक बीजेपी का झंडा बुलंद रखा. पिछली बार अर्जुन मुंडा ने बड़ी मुश्किल से यहां जीत दर्ज की थी. इस बार उन्होंने जमशेदपुर सीट से लड़ने की ख्वाहिश जताई है. ऐसे में खूंटी के रण में कौन उतरेगा . इसे लेकर माथापच्ची बनीं हुई है.
गोड़्डा - तीन बार से निशिकांत दुबे गोड्डा के सांसद है, लेकिन, उनके बारे में चर्चा है कि भागलपुर से भाजपा उन्हें लड़ाना चाहती है. ऐसी सूरत में आखिर गोड्डा में भाजपा का झंडा कौन लेकर उतरेगा . ये सवाल है. हालांकि, कुछ बदलाव शायद यहां से भी देखने को मिल सकते हैं.
हजारीबाग- पूर्व विदेश और वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के पुत्र जयंत सिन्हा पिछले दो बार से हजारीबाग के सांसद है. लेकिन, चर्चाए लगातार इस पर की जा रही है कि इस बार उनका पत्ता कट सकता है. फिलहाल, अभी कुछ साफ तो नहीं है. लेकिन, ऐसी बाते उड़ रही है कि मनीष जयसवाल को मौका यहां बीजेपी दे सकती है.
इन 14 सीटों में भाजपा का उम्मीदवार कौन होगा. इसकी तस्वीर बहुत जल्द साफ हो जाएगी. लेकिन, जो चर्चाए , अटकले और कयासों का बाजार गर्म है. उसमे फाइनल मुहर लगनी अभी बाकी है. तय है कि पार्टी काफी विचार-विमर्श , मंथन , रायशुमारी के साथ-साथ सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही अपने प्रत्याशियों के लोकसभा के अखाड़े में उतारेगी. जिसमे नई चेहरों के साथ-साथ पुराने पहलवान भी नजर आयेंगे. लेकिन, किसका पत्ता कटेगा और कौन सा नया नाम खम ठोकेंगे . ये अभी पर्दे के पीछ है. जिसके ऊपर उठने का इंतजार है.
रिपोर्ट- शिवपूजन सिंह
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