रांची(RANCHI)-60:40 की नियोजन नीति के विरोध में छात्रों का आन्दोलन जमीन पर दम तोड़ता नजर आया. राजधानी रांची सहित धनबाद, दुमका, चाईबासा, गुमला, लोहरदग्गा सहित शहरी क्षेत्रों में इस बंद का आम लोगों का समर्थन मिलता नहीं दिखा, पूरे झारखंड में आम दिनों की तरह सारी गतिविधियां चलती रही, स्कूल- कॉलेज से लेकर तमाम कार्यलय खुले नजर आये, पार्कों सहित दूसरे सार्वजनिक स्थानों पर लोगों का जमाकड़ा बना रहा.
राजधानी रांची में देवेन्द्रनाथ के साथ नजर आये इक्का दुक्का लोग
राजधानी रांची में देवेन्द्रनाथ महतो को इक्का दुक्का लोगों के साथ सड़क पर जरुर देखा गया. लेकिन आम लोगों की भागीदारी नदारद रही. हालांकि 60:40 की नियोजन नीति को लेकर अपने ही सरकार पर हमलावर रहे झामुमो विधायक लोबन हेम्ब्रम ने इसे बेहद सफल बताया है, उनका दावा है कि यह बंद आने वाले दिनों में झारखंड की राजनीति की तस्वीर को बदल देगी.
झारखंड स्टेट स्टूडेंट यूनियन ने किया है दो दिवसीय बंद का आह्वान
यहां बता दें कि हेमंत सरकार के द्वारा लायी गयी स्थानीय नीति के विरोध में झारखंड स्टेट स्टूडेंट यूनियन सहित कई छात्र संगठनों के द्वारा 48 घंटों के लिए सम्पूर्ण झारखंड बंद का आह्वान किया गया है, आज बंद का पहला दिन था, बंद बंदी की घोषणा को देखते हुए प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली थी, सुरक्षा के मद्देनजर राजधानी रांची में 1500 जवानों को तैनात किया था. खास कर मुख्यमंत्री आवास, मोरहाबादी मैदान के आसपास सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गयी थी. लेकिन बंद समर्थकों के साथ कोई हुजूम नहीं होने के कारण प्रशासन को कोई खास मशक्कत नहीं करनी पड़ी. वे महज अपनी ड्यूटी का निर्वाह करते देखे गयें.
60:40 की नियोजन नीति के विरोध में छात्रों ने किया था बंद की घोषणा
यहां याद दिला दे कि छात्र हेमंत सरकार के द्वारा लाये गये 60:40 की नियोजन नीति को झारखंड के आदिवासी मूलवासियों के हितों के खिलाफ बता रहे हैं, उनका कहना है कि इस नीति के तहत हेमंत सरकार ने 40 फीसदी नौकरियों को गैर झारखंडियों को लिए खोल दिया है, हेमंत सरकार की इस नीति से झारखंड की चालीस फीसदी नौकरियां बिहार और यूपी से आने वालों के हाथ चली जायेगी, छात्रों की मांग 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति का निर्माण और उसी के आधार पर नियोजन नीति लाने की है.
हेमंत सरकार के नियोजन नीति को हाईकोर्ट ने किया निरस्त
याद रहे कि हेमंत सरकार ने अपनी नियोजन नीति को विधान सभा से पास किया था, लेकिन हेमंत सरकार की इस नियोजन नीति को हाईकोर्ट में चुनौती दे गई, और कोर्ट ने उस नियोजन नीति को निरस्त कर दिया. कोर्ट के इस फैसले के बाद हेमंत सरकार 60:40 के फार्मूले के साथ आयी है, सरकार का दावा है कि वह अंतिम समय तक 1932 के साथ खड़ी रहेगी, उसके लिए कानूनी और संवैधानिक तरीके से संघर्ष करती रहेगी, लेकिन जब तक खतियान आधारित स्थानीय नीति को कानूनी और संवैधानिक मान्यता नहीं दे दी जाती, तब तक नियोजन की प्रक्रिया को बाधित रखना झारखंड के युवाओं के साथ अन्याय होगा, यही कारण है कि हेमंत सरकार 60:40 की नियोजन नीति को मात्र एक तात्कालिक उपचार मान रही है, उसका दावा है कि उसकी असली लड़ाई खतियान आधारित स्थानीय और नियोजन नीति के निर्माण की है, लेकिन वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति में उसे केन्द्र सरकार का साथ मिलना मुश्किल है.
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