टीएनपी डेस्क (TNP DESK):-सियासत सब के बस की बात नहीं है, इसमे टिके रहना और विरोधियों मात देना आसान नहीं होता. क्योंकि राजनीति चिज ही ऐसी है. जहां परायों के साथ-साथ अपनों से भी खतरा महसूस होता है . महाराष्ट्र की राजनीति में चाणक्य की हैसियत रखने वाले शरद पवार. उम्र के उस मोड़ पर पहुंच चुके हैं, जहां उन्हें आज नहीं तो कल पॉलटिक्स से तो तौबा करनी ही होगी. लेकिन, सवाल सबके सर पर मंडरा रहा था, कि पवार साहब जाते-जाते किसे अपनी बागडोर सौंपेंगे. एक मंझे और चतुर नेता कि तरह राजनीति के चाणक्य पवार साहब ने अपनी चाल ऐसी चली की, लोग उनके कायल हो गये.
NCP के दो कार्यकारी अध्यक्ष
कुछ दिन पहले तक काफी हल्ला था, कि शरद पवार के बाद पार्टी का अगला अध्यक्ष कौन होगा . तो इसका जवाब शरद पवार ने प्रफ्फुल पटेल और अपनी बेटी सुप्रिया सुले को कार्यकारी अध्यक्ष घोषित कर दिया. उनके इस फैसले से उनके भतीजे अजित पवार को गहरा झटका लगा. उनकी ख्वाहिश थी कि उन्हें ही पार्टी की कमान दी जाएगी. लेकिन, ऐसा हुआ नहीं. बीच-बीच में अजित भी एनसीपी से अलग होकर, बीजेपी में जाने की हवा उड़ा रहे थे. अब इस फैसले के बाद वो कुछ सोचने पर मजबूर तो जरुर होंगे . इधर कार्यकारी अध्यक्ष चुनकर शरद पवार ने साफ कर दिया कि , उनके बाद पार्टी की बागडोर सुप्रिया या फिर प्रफुल्ल पटेल ही संभालेंगे.
शरद पवार की सधी चाल
कुछ दिन पहले उनके भतीजे अजीत पवार के बीजेपी में जाने की शोर खूब थी. क्योंकि, उस वक्त एकनाथ शिंदे पर अदालत के फैसले आने वाला था. अजीत भाजपा के साथ जाने की बेताबी में थे, जिसके चलते एनसीपी के टूटने का खतरा मंडराने लगा था. ऐसे मौके पर शरद पवार ने अपने तजुर्बे और कुशल राजनीति की चाल चलते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. उनके फैसले से पार्टी में तूफान आ गया, कार्यकर्ता शरद पवार से भावुक अपील करने लगे की , जल्द से जल्द इस्तीफा वापस ले. उनकी जरुरत पार्टी और राज्य को है. पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के दबाव में आकर, उन्होंने इस्तीफा वापस ले लिया. इससे पहले भी एनसीपी टूटने के कागार पर थी. अजीत पवार पार्टी के विधायक तोड़कर भाजपा के साथ मिल गये थे. उस वक्त भी शरद पवार ने अपना राजनीतिक कौशल दिखाकर अपने पाले में खींच लिया था.
गुटबाजी नहीं चलेगी
मराठा छत्रप ने भतीजे अजीत पवार को किनारा करके साफ कर दिया कि, वह गुटबाजी और पार्टी बिखरने के मंसूबें को चलने नहीं देंगे. एनसीपी के संगठन में बड़ा बदलाव करने के साथ-साथ जिम्मेदारी भी सौंप दी. जो यह संकेत है कि एनसीपी का संगठन आगे कमजोर नहीं पड़ेगा. उन्होंने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सुप्रिया सुले और वरिष्ठ नेता प्रफ्फुल पटले को अलग-अलग राज्यों की जिम्मेदारी दी है प दी. जो यह दर्शाता है कि उनका मकसद और क्या लक्ष्य है.
बागियों को साफ संदेश
शरद पवार सियासत का लंबा तजुर्बा रहा है. वे सियासत के शतरंज में बादशाह के किरदार में बेहद कम चाल चलते हैं. लेकिन, जब भी कदम बढ़ाते हैं, तो उनकी चाल सधी और सटीक होती है. शरद पवार ने साफ कर दिया है कि आगामी लोकसभा चुनाव में उसे ही टिकट मिलेगी, जिसमे जीत की संभावना है. यानि सिर्फ चापलूसी,चम्मचई और चाल चलने से टिकट नहीं मिलेने वाला . कार्यकर्ताओं का उनकी बात , यह इशारा करती है कि, किसी भी तरह की गुटबाजी और कलह बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
रिपोर्ट-शिवपूजन सिंह
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