रांची(RANCHI)- मोदी सरकार के नौ वर्षों में पहली बार सामने आये कैग की ऑडिट रिपोर्ट को झारखंड कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने मोदी सरकार के भ्रष्टाचार का रिपोर्ट कार्ड करार दिया है. राजेश ठाकुर ने कहा कि इस रिपोर्ट से साफ है कि ऐसा कोई विभाग बचा नहीं, जहां भ्रष्टाचार की गंगोत्री नहीं फैली हो, इस रिपोर्ट को महज सरसरी निगाह से देखते जाईये, एक से बढ़कर एक भ्रष्टचार ही भ्रष्टचार सामने आता जायेगा.
19 मंत्रालयों में 1179 करोड़ रुपए का गड़बड़झाला सामने आ चुका है. हालांकि यह महज 2017 तक के दस्तावेजों का ऑडिट का नतीजा है. 78 मामलों में बड़ी गड़बड़ियां पाई गयी है. जिन विभागों में सबसे अधिक भ्रष्टाचार का खेल हुआ उसमें मानव संसाधन मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, संस्कृति, उपभोक्ता, मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री शामिल है. पिछले एक साल में इन मंत्रालयों को सकल खर्च में 38 फीसदी तक का इजाफा हुआ है. 2015-16 में इन मंत्रालयों का कुल खर्च 53,34.037 करोड़ रुपए का था, वह 2016 में बढ़कर 73,62,394 हो गया.
मंत्रालयों ने अपने ही नियमों और प्रावधानों को दरकिनार बड़ी बड़ी परियोजनाओं के नाम पर अनियमित तरीके से भुगतान किया. बड़ी बात यह है कि पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विभाग में भी बड़ी अनियमितता सामने आयी है. वित्तीय प्रबंधन के नियमों का पालन नहीं करने के कारण मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री को 13.76 करोड़ और संस्कृति मंत्रालय को 2.26 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा.
पीएम मोदी के करीबियों के पास वाले विभाग में बड़ी गड़बड़ी
कैग की रिपोर्ट के आधार पर इस बात का दावा किया गया है कि संस्कृति, विदेश मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और एमएचआरडी में ही 65.86 करोड़ रुपए का चुना लगाया गया. जबकि ये सारे विभाग पीएम मोदी के करीबियों के पास था. कैग की रिपोर्ट इस बात का खुलासा भी करती है कि गृह मंत्रालय के द्वारा दिल्ली पुलिस के लिए 1.11 करोड़ रुपए खर्च कर खरीदे गए सर्वर और सॉफ्टवेयर तीन साल में कोई उपयोग नहीं हुआ.
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