रांची (TNP Desk) : लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का एलान इसी महीने में हो सकता है. इस बीच प्रत्याशियों के नामों को लेकर बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई है. बताया जाता है कि शुक्रवार को उम्मीदवारों की पहली लिस्ट सामने आ सकती है. इन नामों की फेहरिश्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा, शिवराज सिंह चौहान सहित कई दिग्गजों के नामों का एलान हो सकता है. इस सूचि में कई सांसदों का पत्ता कट सकता है.
नये चेहरों को मिलेगा मौका
बता दें कि सत्रहवीं लोक सभा के गठन के लिए भारतीय आम चुनाव, देशभर में 11 अप्रैल से 19 मई 2019 के बीच 7 चरणों में अयोजित की गई थी. चुनाव के परिणाम 23 मई को घोषित किये, जिसमें भारतीय जनता पार्टी ने 303 सीटों पर जीत हासिल की, और अपना पूर्ण बहुमत बनाये रखा और भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 353 सीटें जीतीं. इधर 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की कैंडिडेट लिस्ट को लेकर अटकलों का दौर भी जारी हो गया है. सूत्रों के हवाले से खबर सामने आ रही है कि बीजेपी की पहली कैंडिडेट लिस्ट में नये चेहरों को मौका मिल सकता है. वहीं कई सांसदों का टिकट कटने की भी चर्चा है. हालांकि, इस सूचि में कई बड़े उलटफेर होने की भी संभावना जतायी जा रही है.
झारखंड में साफ नहीं है स्थिति
झारखंड से लोकसभा सीट की बात करें तो यहां भी कई लोगों के टिकट कटने की सुगबुगाहट तेज हो गई है. चुंकी यहां एक-एक सीट पर कई-कई दावेदार हैं. इसलिए आलाकमान अभी तक फैसला नहीं कर पाया है. दरअसल, जिस क्षेत्र से जिन्होंने अपनी दावेदारी पेश की है उसका शॉट लिस्टेड किया जा रहा है. झारखंड बीजेपी के पदाधिकारियों के साथ आलाकमान ने बैठकें भी की है. इसलिए जिन 100 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होने वाली है उनमें झारखंड से कोई प्रत्याशी नहीं होगा. हालांकि, सूत्रों से जो जानकारी मिली है वो ये है कि केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी के नाम का एलान हो सकता हैं. क्योंकि पिछले चुनाव में राजद का साथ छोड़कर कोडरमा से शानदार जीत मिली थी और बाद में मंत्री बनाया गया था.
खूंटी से लड़ने के मूड में नहीं है अर्जुन मुंडा
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा इस बार खूंटी से लड़ने के मूड में नहीं हैं. उन्होंने जमशेदपुर से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है. 2009 में भी वे जमशेदपुर से सांसद रहे थे. इसलिए उन्होंने अपनी बात आलाकमान के सामने रख दी है. दरअसल खूंटी से 2019 में बहुत मुश्किल से जीत पाए थे. उन्हें कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा था. अगर अर्जुन मुंडा जमशेदपुर से चुनाव लड़ेंगे तो सीटींग एमपी विद्युतवरण महतो नाराज हो जाएंगे. क्योंकि वे लगातार दो बार से यहां से सांसद रहे हैं. टिकट नहीं मिलने की सूरत में विद्युतवरण एक बार फिर घर वापसी करते हुए झामुमो लौट सकते हैं. अगर ऐसा होता है, तो फिर भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है. क्योंकि कुर्मी वोटर्स का एक बड़ा वोट बैंक उनके साथ है, जो छिटक सकता है. ऐसे में शायद ही भारतीय जनता पार्टी इतना बड़ा जोखिम अपने हाथ में ले.
गीता कोड़ा को टिकट मिलना तय
इधर गिरिडीह में गठबंधन के तहत आजसू के चंद्र प्रकाश चौधरी सांसद बने थे. ऐसे में बीजेपी अपने सहयोगी को नाराज करना कतई नहीं चाहेगी. उधर, अभी हाल ही में कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई गीता कोड़ा का भी पश्चिमी सिंहभूम से टिकट मिलना तय है. क्योंकि यहां से बीजेपी के पास कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं है. पिछले चुनाव में कांग्रेसी की टिकट पर लड़ीं गीता कोड़ा ने बीजेपी के दिवगंत लक्ष्मण गिलुवा को हराया था. ऐसे में उनकी दावेदारी पर किसी तरह की कोई अड़चन या कांटा नहीं फंसा हुआ है. हजारीबाग की बात करें तो यहां से बीजेपी से जयंत सिन्हा सांसद हैं. लेकिन, हालिया उनका जैसा कार्यकाल रहा है और जैसे बाते निकलकर सामने आती रही है. इससे उनका पत्ता भी कट सकता है. उनकी जगह मनीष जायसवाल के नाम की चर्चा जोरो से हैं.
धनबाद में पीएन सिंह का नहीं मिल रहा कोई विकल्प
गोड्डा से निशिकांत दुबे के नाम लेकर भी संशय के बादल है. पार्टी अभी तय नहीं कर पायी है कि यहां से किसे उतारा जाए. क्योंकि निशिकांत को बीजेपी भागलपुर भेजने के मूड में है. संथाल की सीट गोड्डा पर आखिर कौन कमल फूल लेकर उतेगा. इस पर सभी की निगाहे टिकी हुई है. वहीं कोयलांचल धनबाद से दिग्गज नेता व सांसद पशुपतिनाथ सिंह मंझे हुए नेता और अच्छा खासा तजुर्बा रखते हं. लेकिन, उनके साथ उनकी उम्र का मसला हावी हो जा रहा है. हालांकि बीजेपी को कोई विकल्प नहीं मिल रहा है. लेकिन दावेदारी यहां से कई नेता कर रहे हैं. जबकि पार्टी मजबूत उम्मीदवार की तलाश कर रही है.
इन लोकसभा सीट पर फंस रहा है पेंच
लोहरदगा, रांची, चतरा और पलामू में भी स्थिति कमोबेश यहीं है. यहां से भी पार्टी अपना चेहरा बदलना चाहती हैं. लोहरदगा से सुदर्शन भगत तीन बार से सांसद हैं. लेकिन, उनका भी टिकट पक्का नहीं है. इस बार यहां से किसे प्रत्याशी घोषित किया जाए इस पर पार्टी सोच-विचार रही है. रांची से 2019 में पहली बार लोकसभा पहुंचे संजय सेठ पर बीजेपी दांव खेलना नहीं चाह रही है. हालांकि यहां से कई दावेदार हैं. जिनमे प्रदीप वर्मा का नाम भी उछल रहा है. अब देखना है कि राजधानी की सीट पर कौन लोकसभा के अखाड़े में उतरता है. चतरा के रण की बात करे, तो पिछले चुनाव में कड़े मुकाबले में सुनील सिंह को जीत मिली थी. इसलिए इस सीट पर भी अभी कुछ साफ नहीं है. शायद यहां कोई उलटफेर देखने को मिले. वहीं दुमका सीट को लेकर कहा जा रहा है कि इस बार सुनील सोरेन पर बीजेपी फिर दांव खेलेगी. क्योंकि 2019 चुनाव में उन्होंने दिशोम गुरु शिबू सोरेन को पटखनी दी थी. राजमहल की बात करें तो यहां से विजय हांसदा झामुमो से सांसद हैं. भाजपा यहां उनके सामने मजबूत उम्मीदवार उतारना चाहती है. कहा जाता है कि लोबिन हेंब्रम को इस सीट बीजेपी टिकट देकर मुकाबले को रोमांचक बना सकती है. भारतीय जनता पार्टी के लिए दिक्कत यहां ये है कि विजय हांसदा के खिलाफ हेमलाल मुर्मू को उतारा था. लेकिन, अभ वे झारखड मुक्ति मोर्चा के साथ हो गये हैं. इसलिए उसकी कोशिश किसी तगड़े उम्मीदवार पर दांव खेलने की है. जिसमे लोबिन एक फिट खिलाड़ी के तौर पर उभर रहें हैं. हालांकि, राजमहल में भारतीय जनता पार्टी का क्या गेम प्लान है, अभी साफ नहीं है.
झारखंड में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों की बात करें तो सिर्फ गीता कोड़ा ही ऐसी नजर आती है, जिनका टिकट पश्चिमी सिंहभूम से पक्का दिख रहा है. नहीं तो हर जगह संशय और मश्शकत की स्थिति बनीं हुई है. जहां अभी कोई उम्मीदवार यहां दांवा नहीं कर सकता कि उनका टिकट पक्का है.
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