Ranchi- 28 मार्च को जसीडीह थाने में गोड्डा सांसद निशिकांत के खिलाफ धोखाधड़ी का प्राथमिकी दर्ज होने के बाद चुनाव आयोग के द्वारा एसपी का तबादला पर सियासत की शुरुआत हो गई है. झामुमो महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने एसपी के तबादले के सवाल खड़ा करते हुए पूछा है कि क्या एसपी के तबादले के बाद पुलिस अपना अनुसंधान बंद कर देगी. क्या अब किसी थाने में कोई व्यक्ति मामला दर्ज करवाने जायेगा तो पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने के बजाय पहले उस व्यक्ति का अतीत खंगालेगी. इस बात की जानकारी हासिल करेगी कि जिसके द्वारा प्राथमिकी दर्ज करवाया जा रहा है, उस पर कौन-कौन से मामले दर्ज है, और इस तहकीकात के बाद ही पुलिस मामला दर्ज करेगी. यह कौन सा न्याय है? और चुनाव आयोग किसी ओर से फिल्डिंग कर रहा है? क्या किसी थाने में प्राथमिकी एसपी के आदेश के बाद होता है? और क्या एक थानेदार को किसी भाजपा सांसद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का भी अधिकार नहीं है? आखिर चुनाव आयोग कब तक इस अनुसंधान पर रोक लगायेगी, क्योंकि प्राथमिकी तो अब दर्ज हो चुकी है और पुलिस इसका अनुसंधान भी करेगी.
28 मार्च को जसडीह थाने में दर्ज हुई थी प्राथमिकी
यहां बता दें कि देवघर निवासी शिवदत्त शर्मा ने 28 मार्च को जसडीह थाने में भाजपा सांसद निशिकांत के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया था. उसका आरोप था कि निशिकांत दुबे और उनकी पत्नी अनामिका गौतम ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे उसका हॉस्पिटल परित्राण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल पर कब्जा कर लिया है. जिसके बाद निशिकांत ने यह दावा किया था कि जिस व्यक्ति की ओर से मामला दर्ज करवाया गया है वह खुद एक मामले में आरोपी है, और एक आरोपी थाने में मामला दर्ज करवाने कैसे पहुंचा, जिसके बाद चुनाव आयोग के द्वारा अजीत पीटर डुंगडुंग को हटाने का आदेश जारी कर दिया और इससे बाद पूरे झारखंड में सियासत की शुरुआत हो गयी.
ईवीएम का मतलब इलेक्ट्रॉनिक फोटो मैनिपुलेशन
सुप्रियो ने दावा किया कि झारखंड में चुनाव की घोषणा हो गयी, लेकिन एक राजनीतिक पार्टी के रुप से यहां का सबसे बड़ा स्टेट होल्डर होने के बावजूद चुनाव आयोग ने झामुमो के साथ कोई संपर्क नहीं किया. हमें अपनी बात का रखने का मौका नहीं दिया. यदि वह मौका दिया जाता तो हम भी अपनी बात रखतें, इस बात को चुनाव आयोग के सामने लाते कि किस प्रकार झारखंड में भाजपा केन्द्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर पीड़क कार्रवाई कर रही है. लेकिन हर राज्य में वहां की पार्टियों को बुलाया गया, उनकी सलाह सुनी गयी, सिवा झारखंड के. यह है चुनाव आयोग की कार्यशैली. सुप्रियो ने दावा किया कि जहां जहां भी भाजपा की मिट्टी पलीद होती दिख रही है, वहां-वहां तमाम केन्द्रीय एजेंसियों को मैदान में उतारा जा चुका है. सुप्रियो ने दावा किया अब चुनाव आयोग को यह फैसला करना है कि देश में निष्पक्ष मतदान होगा या नहीं, क्योंकि अब सवाल चुनाव आयोग की साख पर है. अब ईवीएम का मतलब इलेक्ट्रॉनिक फोटो मैनिपुलेशन होता दिख रहा है.
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