TNP SPECIAL: धनबाद सहित पूरे झारखंड में 'कबाड़ -कबाड़' का शोर, जानिए 15 लाख गाड़ियों का भाग्य कैसे तय करेगी स्क्रैप पॉलिसी


धनबाद(DHANBAD): केंद्र सरकार की तरह झारखंड में भी वाहनों की स्क्रैप पॉलिसी तैयार हो गई है. अभी लागू नहीं हुई है लेकिन संभावना है कि पहली अप्रैल से इसे लागू कर दिया जाए. इधर, धनबाद के एक शोरूम मालिक ने अपने वकील के मार्फत एक इश्तहार जारी किया है. कहा गया है कि उनके शोरूम के वर्कशॉप में मरम्मत के लिए 18 गाड़ियां पड़ी हुई है. गाड़ियों की मरम्मत कर दी गई है. उनके मालिक गाड़ियों को वापस नहीं ले जा रहे हैं, न ही मरम्मत और मेंटेनेंस के लिए राशि जमा किए है. गाड़ियों के नंबर के साथ मालिक का नाम सहित सूची जारी की गई है. सूचना में लिखा गया है कि आप सभी गाड़ी मालिकों को आगाह किया जाता है कि इस नोटिस के प्रकाशित होने के 15 दिनों के भीतर अपनी- अपनी गाड़ी का मरम्मत शुल्क तथा गाड़ी के रखरखाव का खर्च शोरूम में जमा करें और अपनी गाड़ियों को ले जाये. . अगर ऐसा नहीं किया गया तो बाध्य होकर मेरे मुवक्किल को सक्षम न्यायालय में उनके खर्चे के लिए मुकदमा दाखिल करना पड़ेगा. यह सूचना पंकज प्रसाद अधिवक्ता के हस्ताक्षर से जारी किया गया है.
शोरूम मालिक को देना पड़ रहा इश्तेहार
मतलब की गाड़ी मालिक शोरूम में गाड़ियों को छोड़कर निश्चिंत हो गए है. ऐसा भी हो सकता है कि गाड़ियां कबाड़ हो गई हो और उन्हें रखने में हो रही परेशानी की वजह से शोरूम में ही छोड़ दिया गया हो. यह भी हो सकता है कि झारखंड में वाहनों की स्क्रैप पॉलिसी की जानकारी उन तक पहुंच गई हो. इसलिए भी गाड़ियों को शोरूम में ही छोड़ देना बेहतर समझते हो. मामला चाहे जो भी हो यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा कि गाड़ी मालिक गाड़ियों को शोरूम में क्यों छोड़ा है. जिससे बाध्य होकर शोरूम मालिक को अखबारों में आम सूचना जारी करना पड़ा है. वैसे, जानकारी के अनुसार केंद्र की तर्ज पर झारखंड सरकार भी वाहन स्क्रैप पॉलिसी तैयार कर ली है. उम्मीद की जा रही है कि पहली अप्रैल से इसे लागू कर दिया जाएगा. लेकिन इसका अभी औपचारिक आदेश नहीं जारी हुआ है. नियम के मुताबिक 15 साल से अधिक पुराने व्यवसायिक वाहन व 20 साल से अधिक के निजी वाहन को कबाड़ माना जाएगा.
धनबाद में लगभग डेढ़ लाख व्यवसायिक और निजी वाहन हो सकते है कबाड़
एक आंकड़े के मुताबिक धनबाद में लगभग डेढ़ लाख व्यवसायिक और निजी वाहन ऐसे हैं, जो एस्क्रैप हो सकते है. पूरे झारखंड में यह आकड़ा 15 लाख से अधिक हो सकता है. फिर इसके लिए भी सरकारी स्तर पर एक यार्ड बनाना होगा, जहां इन वाहनों को रखा जा सके. देखना है आगे क्या होता है. वैसे अगर धनबाद जिले या झारखंड के किसी भी थानों की बात करे तो जब्त गाड़ियों से थाना परिसर भरा रहता है. यहां तक कि सड़क पर पुलिस द्वारा जब्त गाड़ियां खड़ी कर दी जाती है. बरवाअड्डा में तो कृषि बाजार प्रांगण में जब्त गाड़ियां खड़ी है. धनबाद थाने की बात करें तो बिजली ऑफिस जाने वाली सड़क पर खड़ी गाड़ियां सड़ रही है. गोविंदपुर थाने की बात की जाए तो थाने से बाहर सड़क पर ही कबाड़ गाड़ियों की भरमार है. देखना है कि स्क्रैप पॉलिसी झारखंड में अगर लागू होती है तो आगे की कार्रवाई क्या होगी.
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