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Joshimath update- प्राकृतिक आपदा या विनाशकारी नीतियों का दुष्परिणाम, अब हिली हिमाचल की धरती

Joshimath update- प्राकृतिक आपदा या विनाशकारी नीतियों का दुष्परिणाम, अब हिली हिमाचल की धरती

टीएनपी डेस्क(TNP DESK): उत्तराखंड में जोशीमठ पर खतरा लगातार बना हुआ है, लोग भय और अनहोनी की आशंका के बीच जी रहे हैं. वहीं सरकार की कोशिश जिदंगी को एक बार फिर से पटरी पर लाने की है.

लेकिन एक सवाल हर किसी के जुबान पर तैर रहा है कि इस आपदा का कारण क्या है, क्या यह मात्र प्राकृतिक आपदा है या बीते कुछ दशकों में अपनायी गयी विनाशकारी नीतियों का दुष्परिणाम.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इसे प्राकृतिक आपदा बता चुके हैं

यह सवाल इस लिए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि बीते दो दिनों में राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे मात्र प्राकृतिक आपदा कह कर टालने की कोशिश की है. राज्य के मुख्य सचिव एसएस संधू ने कहा है कि अब तक की रिपोर्ट के अनुसार जोशीमठ एक भू स्खलन द्रव्यमान के अवशेषों पर स्थित है. साथ ही शहर के नीचे किसी प्रकार की कोई कठोर चट्टान नहीं है. शहर की नींव बेहद कमजोर है.

जोशीमठ की भू संरचना बेहद कमजोर है

कहने का अभिप्राय यह है कि जिस धरती पर जोशीमठ स्थित है, उसकी भू संरचना बेहद कमजोर है. यही कारण है कि जोशीमठ को इन स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. उनके अनुसार कठोर संरचना पर आधारित शहरों में इस प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता.

पर्यावरणविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विनाशकारी विकास की नीतियों को बताया इसका वजह

जबकि इसके ठीक विपरित पर्यावरणविदों और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि सरकार की कोशिश पिछले दो दशकों से अपनायी गयी विनाशकारी विकास की नीतियों पर पर्दा डालने की है. वह किसी भी कीमत पर इसके कारक-कारणों की समीक्षा नहीं चाहती. निर्माण कार्यों पर रोक लगाना नहीं चाहती.

ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने दी सरकार को चेतावनी

इसी कड़ी में ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने सरकार से किसी भी धार्मिक स्थल को पर्यटक स्थल में बदलने से परहेज करने को कहा है. उन्होंने कहा है कि जोशीमठ सहित पूरे उत्तराखंड को पर्यटक स्थल के रुप में विकसित करने की कोशिशों का दुष्परिणाम अब सामने आने लगा है. हमें धार्मिक स्थल और पर्यटन स्थल के बीच के अन्तर को समझना होगा, नहीं तो मौजूदा विकास की इन आपदों को आमंत्रण देती रहेगी. और हम इससे भी भंयकर आपदा झेलने को अभिशप्त होंगे.

उन्होंने कहा कि इस इलाके में 2005 में ही हाईड्रोपावर प्रोजेक्ट और 17 किलोमीटर की लंबी सुंरग बनायी गई थी और इसे एक उपलब्धि के बतौर प्रचारित किया गया था. आज उसी का नतीजा है कि यहां की जमीने धंस रही है, लोगों के घरों में दरार आ रहा है. लोग सुरक्षित स्थल की खोज में दर-बदर भटक रहे हैं.

अब हिली हिमाचल की धरती, लोगों में अनहोनी की आशंका

शुक्रवार को उत्तरकाशी में भूकंप में तीव्र झटके लगें, इसकी तीव्रता 2.9 नापी गयी, लेकिन इसने जोशीमठ को हिला दिया. जबकि शनिवार को धर्मशाला में धरती कांप गयी, इसकी तीव्रता 3.2 की रही. जोशीमठ के बाद लगातार बर्फबारी, भूधंसान और भूकंप के झटकों ने लोगों की नींद उड़ा दी है. लोग इस बात को लेकर आशंकित है कि यदि यह भूकंप जोशीमठ के पास होता तब क्या होता?

रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार

Published at:14 Jan 2023 03:22 PM (IST)
Tags:Joshimath update Natural calamityadverse effects of destructive policiesNatural calamity or adverse effects of destructive policies land of Himachal is shakenJOSHIMATH UTTRAKHAND HIMACHAL PRADESH
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