टीएनपी डेस्क(Tnp desk):-बिहार में पकड़ौआ विवाह का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. कुछ दिन पहले ही बिहार लोक सेवा आयोग की तरफ से आयोजित परीक्षा में एक लाख टीचर की नियुक्ति पत्र खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिया. नौकरी तो मिल गयी. लेकिन इसके चलते खतरा उन टीचर्स का बढ गया है, जो अविवाहित हैं. एकबार फिर पकड़ौआ विवाह का ट्रेंड जोर पकड़ता दिख रहा है. वैशाली जिले के पातेपुर के गौतम नाम के शिक्षक शिकार बन गये. बोलेरों से अपहरण कर उनकी जबरन पूरे रिती-रिवाज से शादी करा दी गई .
प्लानिंग के तहत पकड़ौआ विवाह
मामला तब गरमाया या फिर कहे तब उजागर हुआ जब गौतम के दादा ने थाने में अपहऱण की तहरीर दी . इसके बात तो लोगों ने गुस्से में लाल होकर हाजीपुर-ताजपुर स्टेट हाइवे 49 को जाम कर दिया. पुलिस ने दबाव के बाद गौतम को बरामद किया, तो पकौड़आ विवाह की बात सामने आई. रेपुरा उत्क्रमित मध्य विद्यालय में गौतम को पहली पोस्टिंग मिली थी. वही पर घात लगाकर स्कूल के ही इलाके के पांच लोगों पर अपहरण करने का आरोप लगा. दूसरी तरफ मामला वेवाहिक होने के चलते दोनों पक्ष से अब समझौता चल रहा है.
बिहार में पकड़ौआ विवाह का रहा चलन
बिहार में पकड़ौवा विवाह की खबरे देश भर में सुर्खियों में रहती है. अच्छे लड़के को बिना मर्जी के लड़कीवाले अपहरण करके जबरन शादी करा देते हैं. हिन्दुस्तान चांद पर पहुंच गया और आधुनिकता के रंग ने ने भी बदलाव की कोशिश की है. इसके बावजूद, समाज और बिरादरी की सोच वही की वहीं ठहरी हुई है. आज भी बेटी को बोझ मानने वाली ये समाजिक परंपरा, दस्तूर जंजीरे और रवायतों का जंजाल पकड़ौआ शादी की असली वजह है. आमूमन इस विवाह में दहेज नहीं देना पड़ता, जिसके चलते लड़की के परिवारवालों का पैसा बच जाता है. इसमे कोशिश ऐसे लड़के को खोजने की रहती है. जो सरकारी नौकरी करता हो या आर्थिक रुप से समृद्ध हो. उसी को पकड़कर जबरदस्ती लड़की से शादी करा दी जाती है. हाल ही में पटना हाईकोर्ट ने ऐसे ही दस साल तक चले एक मामले में पकड़ौवा शादी को अवैध करार दिया. हालांकि, इसके बावजूद कानून के इस फैसले की अनदेखी करके पातेपुर में शादी कर दी गई. बड़ा सवाल है कि हमारा समाज किसी दिशा में जा रहा है. क्यों किसी की जिंदगी बर्बाद की जा रही है. सात जन्म के इस फेरे और बंधन को क्यों बदनाम किया जा रहा है. क्यों दो आत्माओं के मिलन को धंधा बनाने की कोशिश की जा रही है. जो कही न कही शादी जैसी पवित्र बंधन को जोड़ने से पहले ही तोड़ने की कवायद है.
खैर, सच्चाई है कि पकड़ौआ विवाह का चलन तो तब ही रुकेगा, जब समाज और बिरादरी की सोच बदलेगी. लड़की को भी लड़का की तरह ही दर्ज दिया जाएगा. उसे कमजोर और अबला मानने की बजाए उसे भी जिंदगी में पढ़ा लिखाकर काबिल बनाया जाएगा.